लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कामरेड अतुल अंजान का कैंसर के कारण शुक्रवार को निधन हो गया. शनिवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी कार्यालय पर उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया. बड़ी संख्या में देश भर से पार्टी के नेता और कार्यकर्ता अतुल अंजान को श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे. यहां कम्युनिस्ट पार्टियों के ही नेता नहीं, बल्कि अन्य दलों के नेता भी श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे थे. दोपहर में कामरेड अतुल अंजान का अंतिम संस्कार किया गया.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव डॉ. गिरीश ने बताया कि कांग्रेस अतुल हमारे छात्र जीवन के साथी थे. स्टूडेंट आंदोलन में उनका बेजोड़ रोल था. 1977 में जब जनता पार्टी का शासन था, शिक्षकों का बड़ा आंदोलन चला था. ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन ने उसे समर्थन दिया था और उस समर्थन के बिनाह पर यह हुआ कि पुलिस ने उनके ऊपर लाठी चार्ज किया, वह घायल हुए थे. उसके बाद हमने उन्हें एआईएसएफ की तरफ से प्रेसीडेंटशिप के लिए खड़ा किया था और वह अच्छे बहुमत से जीते थे. वर्षों तक वह लखनऊ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष थे. इसके बाद वह ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन के प्रेसिडेंट चुने गए.
इसके बाद पार्टी में आए और फिर अखिल भारतीय किसान महासभा में जिम्मेदार पदों पर काम कर रहे थे. वर्षों से वह काम कर रहे थे. अनेकों आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया. साथ ही साथ वह पार्टी के उन वक्ताओं में से थे जिनकी देश के गिने-चुने वक्ताओं में गिनती की जाती है. उनके इस तरह से चले जाने से न केवल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी वामपंथी आंदोलन की भी अपूर्णीय क्षति हुई है कुल मिलाकर लोकतांत्रिक जनवादी आंदोलन किसान आंदोलन खेत, मजदूर के आंदोलन की यह अपूर्णीय क्षति है. हमारी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता यह कोशिश करेंगे कि उन्होंने जो काम अधूरे छोड़े हैं हम उनको और आगे बढ़ाएं और उस संघर्ष को जो लाल झंडे का संघर्ष है उसको मजबूती दें. उसे आगे ले जाएं, यह हमारा संकल्प है.