Income tax Filing Last date: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का आज आखिरी दिन है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से ITR फाइलिंग के लिए आज यानी 31 जुलाई आखिरी दिन है. समय पर आईटीआर फाइल न करने पर आईटी एक्ट की धारा 234F के मुताबिक 5000 रुपये तक जुर्माना और ब्याज देना पड़ सकता है. तय सीमा तक आयकर न भरने वालों को ओल्ड टैक्स रिजीम का ऑप्शन चुनने का मौका नहीं मिलेगा. ओल्ड रिजीम के लिए योग्य न होने पर 80सी, 80डी और एचआरए पर मिलने वाले डिस्काउंट से हाथ धोना पड़ेगा. यानि तय सीमा के बाद न्यू टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट टैक्स रिजीम बनाया गया है. आपके पास टैक्स रिजीम चुनने का सिर्फ एक ही विकल्प बचेगा. जिससे आपको डबल नुकसान हो सकता है.
कितनी लगेगी पेनल्टी ? (Late ITR Filing Penalty)
31 जुलाई तक आईटीआर न भरने के कारण टैक्सपेयर्स पर भारी जुर्माना लग सकता है. ये आपकी आय पर निर्भर करता है. मसलन अगर आपकी आय 5 लाख से अधिक है तो जुर्माना 5 हजार तक जुर्माना देना पड़ सकता है. वहीं 5 लाख से कम आय होने पर जुर्मान की रकम कम होगी. इसके अलावा डेडलाइन मिस करने पर लेट फीस या पैनल्टी के साथ-साथ टैक्स की रकम पर ब्याज भी वसूला जा सकता है. यानी तय डेट के बाद जब भी आप रिटर्न फाइल करेंगे तब तक का ब्याज आपको अदा करना होगा. टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करने पर डिपार्टमेंट मुकदमा भी दर्ज कर सकता है. जिसमें तीन महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान है. वैसे लेट फाइन और टैक्स की रकम पर ब्याज देने के लिए अगर आप तैयार हैं तो आप 31 दिसंबर 2024 तक ITR भर सकते हैं. इसके बाद ITR फाइल करने का कोई चांस नहीं मिलेगा. इसके बाद आपके खिलाफ आईटी डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेजा सकता है और कार्रवाई कर सकता है. लेकिन अगर आप पैनल्टी, ब्याज और सजा से बचना चाहते हैं तो आपको तय डेडलाइन तक अपना ITR फाइल कर लेना चाहिए.
इतने साल की हो सकती है सजा (Late ITR Filing Penalty)
आईटी एक्ट की धारा 234A के मुताबिक यदि आप पर टैक्स देय है, लेकिन तय सीमा पर इनकम टैक्स फाइल नहीं करने पर हर महीने एक फीसदी ब्याज भी देना होगा. रिटर्न दाखिल नहीं करने, अपनी आय को छिपाने छिपाने और झूठे क्लेम करने पर जेल का प्रावधान है. 25,000 रुपये से अधिक देनदारी पर छह महीने से सात साल तक की सजा साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ सकता है. टैक्स देनदारी 25,000 रुपये से कम होने पर तीन महीने से दो साल तक की सजा का प्रावधान है. ई फाइलिंग पोर्टल पर आ रही परेशानियों के कारण आईटीआर की डेट 31 जुलाई से आगे बढ़ाने की मांग की जा रही है, हालांकि डिपार्टमेंट की ओर से इसे लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. इसलिये वक्त रहते अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें.
आईटीआर भरने के बाद फॉलो करें ये स्टेप
- अगर आपने अपना आईटीआर फाइल कर दिया है तो आपको कुछ स्टेप फॉलो करने होते हैं. सीए चेतन संख्यान ने कहा 'आईटीआर फॉर्म जमा करने के बाद अपनी रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन से सर्टिफिकेशन करवाना जरूरी होता है. जब तक आप ई-वेरिफिकेशन नहीं करेंगे आपका रिटर्न प्रोसेस नहीं होगा.'
- आधार, नेट बैंकिंग क्रेडेंशियल का उपोयग कर ई-वेरिफिकेशन करवा सकते हैं. ई वेरिफिकेशन के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपके रिटर्न को चेक करेगा, इसमें अनपेड टैक्स की जांच शामिल है. करदाताओं को प्रक्रिया और रिफंड राशि को वेरिफिकेशन करने वाली एक नोटिफिकेशन मिलेगा.आप ऑनलाइन भी अपने रिटर्न का स्टेटस चेक कर सकते हैं.
- ऑनलाइन स्टेटस चेक करने के लिए सबसे पहले इनकम टैक्स डिपार्ट की साइट https://www.incometax.gov.in/iec/foportal/ पर जाएं. इसके लिए आपको PAN कार्ड के साथ आधार कार्ड की डिटेल की आवश्यकता होगी. यहां पर यूजर्स आईडी, पासवर्ड और कैप्चा भरने के बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा. ओटीपी दर्ज करने के बाद आप लॉग इन बटन पर क्लिक करें.
- लॉग इन के बाद आपको इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म नजर आएगा. फॉर्म के नीचे ड्रॉप-डाउन लिस्ट से ऑप्शन पर क्लिक करें और आईटीआर पर क्लिक करना होगा. असेसमेंट ईयर दर्ज करने के बाद ITR Acknowledgment Number पर क्लिक करने पर आपको अपना रिफंड स्टेटस शो हो जाएगा.
- सीए चेतन संख्यान ने कहा 'इनकम टैक्स भरने और ई-वेरिफिकेशन के अलावा भी कई गलतियों की वजह से आपका रिफंड रुक सकता है. यूजर्स का PAN से आधार का लिंकअप न होना, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से ई-मेल के जरिए किए गए पत्राचार का उत्तर न देना. बैंक डिटेल जैसे, बैंक अकाउंट नंबर या आईएफएससी कोड का सही न होना इन कारणों से भी आपका रिफंड अटक सकता है इसलिए इन डिटेल को भी एक बार वेरिफाई जरूर कर लें.'
क्या ना करें
- कई बार लोग रिवेट लेने के गलत डिडक्शन की जानकारी फॉर्म में डाल देते हैं. किसी भी तरह की गलत जानकारी देने से बचना चाहिए. गलत डिडक्शन फॉर्म में डालने से आपका रिटर्न फंस सकता है. इसके कारण आपका फॉर्म भी रिजेक्ट हो सकता है. इसलिए फॉर्म को सबमिट करने से पहले उसकी दो-तीन बार जांच कर लेनी चाहिए.
- टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय फॉर्म-16 और एआईएस के डेटा को अच्छे से जांच लेना चाहिए. AIS (एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट) में इनकम टैक्स के और पूरे साल अलग-अलग तरीकों से होने वाली इनकम, इंटरेस्ट, दीर्घकालिक फायदे,रिफंड, लाभांश सहित अन्य जानकारियां होती हैं. AIS और फॉर्म-16 में दिखाए जाने वाले डेटा का ध्यान रखना चाहिए. अगर इन दोनों फॉर्म में डेटा में किसी तरह का अंतर होता है तो आपको कुछ प्रॉब्लम हो सकती है.
- इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद रिफंड लगभग 30 दिनों के अंदर क्रेडिट होता है. इसलिए रिटर्न भरते समय बैंक की सही डिटेल जैसे बैंक अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड की सही जानकारी देना जरूरी है. बैंक डिटेल की गलत जानकारी होने पर आपका रिफंड अटक सकता है.
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