देवघर:बसंत पंचमी के बाद देवघर में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगती है. आमतौर पर बसंत पंचमी के बाद मिथिला से आने वाले श्रद्धालु बड़ी संख्या में देवघर पहुंचते हैं. लेकिन अब यह ट्रेंड बदलता दिख रहा है. इस साल मिथिला क्षेत्र के श्रद्धालुओं के साथ-साथ बिहार के जमुई और नवादा जैसे इलाकों से भी रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवघर पहुंच रहे हैं.
दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ का तिलक होता है और फिर उसके बाद विवाह यानी शिवरात्रि की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. इसलिए बसंत पंचमी से लेकर शिवरात्रि तक रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दरबार में पहुंचते हैं. इनमें से ज्यादातर श्रद्धालु मिथिला क्षेत्र के होते हैं क्योंकि मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ का ससुराल मिथिला क्षेत्र में है.
इसलिए उनके ससुराल से लोग आकर भगवान भोलेनाथ को तिलक करते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बिहार के मिथिला क्षेत्र से ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी लोग बाबा धाम पहुंचकर भगवान भोलेनाथ के तिलक समारोह से लेकर विवाह समारोह तक के लिए देवघर में पूजा-अर्चना कर रहे हैं.
हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे बाबा धाम
इस वर्ष भी मिथिला क्षेत्र के साथ-साथ बिहार के जमुई और नवादा जैसे क्षेत्रों से भी रोजाना हजारों की संख्या में श्रद्धालु देवघर पहुंच रहे हैं. सभी श्रद्धालु बैधनाथ धाम मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर में भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाकर अपने बेहतर भविष्य की कामना करते हैं.
इन दिनों देवघर में जमुई से आए श्रद्धालुओं के एक जत्थे की खूब चर्चा हो रही है. जमुई जिले के सोनो प्रखंड से आए श्रद्धालुओं ने बताया कि यह जत्था अपने ब्रह्म बाबा स्थान से शुरू होकर सुल्तानगंज से जल भरकर देवघर के बैधनाथ धाम पहुंचा है. यहां से यह यात्रा सीधे बाबा बासुकीनाथ पर समाप्त होती है. जमुई से आने वाले श्रद्धालुओं का जत्था हरि कीर्तन करते हुए पैदल रथ यात्रा निकालता है. इस जत्थे में करीब पंद्रह सौ से दो हजार लोग शामिल हैं.
सात साल पहले शुरू हुई थी रथ यात्रा