उत्तरकाशी: उत्तराखंड में उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को बारिश के बाद फिर से भूस्खलन हुआ. जिससे लोग दहशत में आ गए. इसी वजह के कई लोग अपने घरों को छोड़कर भाग गए. इसी बीच प्रशासन ने सायरन बजाकर लोगों को अलर्ट किया.
बता दें कि एक हफ्ते पहले बीते मंगलवार देर रात को भी गोफियारा के समीप वरुणावत पर्वत से भारी भूस्खलन हुआ था, जिससे लोग काफी डर गए थे. तभी लोगों के अंदर डर का माहौल बना हुआ है. बीते मंगलवार की घटना के बाद शासन-प्रशासन भी अलर्ट हो रखा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर बीते गुरुवार को ही आपदा सचिव समेत विशेषज्ञों की टीम ने वरुणावत पर्वत का दौरा किया था.
उत्तरकाशी का वरुणावत पर्वत (ETV Bharat) मंगलवार के बाद बीते शुक्रवार सुबह को भी करीब साढ़े सात बजे पहाड़ी से बोल्डर गिरने की आवाज आई. जब तक लोग घरों से बाहर निकले तो तब तक बोल्डर गिरने बंद हो गए थे. वहीं, उसके बाद पानी के साथ मिट्टी पहाड़ी से कुछ देर बहती रहीय उसके रूकने के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली
वहीं आज मंगलवार तीन सितंबर को 8 बजे रात को एक बार वरुणावत पर्वत से भूस्खलन हुआ. जिससे लोग घर छोड़कर बहार सड़क पर आ गए. वरुणावत पर्वत से भूस्खलन की सूचना मिलते ही एडीएम रजा अब्बास और एसडीएम बृजेश कुमार तिवारी आपदा प्रबंधन केंद्र पहुंचे. केंद्र के अधिकारी भी फोकस लाइट से भूस्खलन की स्थिति देखने में जुटे हैं. वही मस्जिद मोहल्ला निवासी अनिता व बीना राजू ने बताया कि वरुणावत पर्वत से अचानक तेज आवाज आई जिससे वह बाहर भाग गए.
वहीं मंगलवार दो सितंबर देर रात हुए लैंडस्लाइड को लेकर उत्तरकाशी जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट का बयान आया है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में नगर में स्थिति सामान्य है. सभी अधिकारियों व विभागों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए है. वरुणावत पर्वत की स्थिति पर निरंतर नजर रखने को कहा गया है. जिला मुख्यालय व आस-पास के क्षेत्रों में तेज बारिश होने के बाद अभी स्थिति सामान्य है.
अपर जिलाधिकारी आपातकालीन परिचालन केंद्र में उपस्थित रहते हुए उपजिलाधिकारी भटवाड़ी, उपजिलाधकारी डूंडा के साथ लगातार उक्त घटनाक्रम की निगरानी कर रहे है. एसडीआरएफ और पुलिस द्वारा लगातार प्रभावित क्षेत्र पर नजर रख जरूरत पड़ने पर लोगों को सतर्क किया जा रहा है. एनडीआरएफ को भी अलर्ट पर रखा गया है।
बता दें कि 21 साल पहले साल 2003 में वरुणावत पर्वत से बड़ा भूस्खनल हुआ था, जिसकी चपेट में उत्तरकाशी शहर का बड़ा हिस्सा आ गया था. तभी से लगातार वरुणावत पर्वत से लैंडस्लाइड हो रहा था. तत्कालीन केंद्र सरकार ने वरुणावत पर्वत और उत्तरकाशी शहर को बचाने के लिए 250 करोड़ रुपए का पैकेज दिया था. उस धनराशि से वरुणावत पर्वत का ट्रीटमेंट किया गया था.
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