नई दिल्ली: भारत का इंफोर्मेंशन टेक्नोलॉजी (IT) क्षेत्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत को लेकर उत्साहित है. अमेरिकी इमिग्रेशन कानूनों में संभावित बदलावों को लेकर जारी चिंताओं के बावजूद लोगों का उत्साह चरम पर है. इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स और विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान H-1B और अन्य आव्रजन कानूनों पर सख्त रुख अपना सकते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल में H1B कर्मचारियों के वेतन के साथ-साथ वीजा शुल्क में भी वृद्धि देखी गई थी. इस कार्यकाल में ट्रंप प्रशासन H1B वर्किंग वीजा के वार्षिक आवंटन पर पुनर्विचार कर सकता है, जिसकी वर्तमान सीमा 85,000 है.
H1B आवेदनों की जांच कड़ी हो सकती है, क्योंकि पिछले ट्रंप प्रशासन के तहत रिजेक्शन रेट 24 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) की अवधि और पात्रता की भी समीक्षा की जा सकती है.
आईटी स्टॉक में बढ़ोतरी
इन चिंताओं के बावजूद भारत की आईटी कंपनियों ने रिपब्लिकन की जीत का जश्न मनाया. इस बीच आईटी स्टॉक में तेजी से बढ़ोतरी हुई, जिससे बेंचमार्क इंडेक्स में रैली को बढ़ावा मिला. अब जब यह स्पष्ट हो गया है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालेंगे.
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के शेयरों में 4.21 प्रतिशत, इंफोसिस में 4.02 प्रतिशत, टेक महिंद्रा में 3.85 प्रतिशत और HCL टेक्नोलॉजीज में 3.71 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. इसके अलावा, पर्सिस्टेंट सिस्टम्स में 5.86 प्रतिशत, एलटीआईमाइंडट्री में 4.75 प्रतिशत और विप्रो में 3.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
भारतीय IT कंपनियों के पक्ष में माहौल?
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर आईटी कंपनियों को ब्याज दरों, मुद्रास्फीति आदि के बारे में आसान वित्त नीतियों की उम्मीद है, जो अमेरिकी कंपनियों के आईटी बजट को कम करने में मदद कर सकती है.
मजबूत डॉलर
मजबूत डॉलर भारतीय आउटसोर्सिंग उद्योग को लाभ पहुंचाता है, क्योंकि अधिकांश आईटी सर्विस कंपनियां अमेरिका को एक प्रमुख व्यावसायिक बाजार के रूप में सेवा प्रदान करती हैं. इस प्रकार, उद्योग अपने राजस्व का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी मुद्रा में प्राप्त करता है, हालांकि उनकी परिचालन लागत भारतीय रुपये में होती है.
नीति निर्माण में स्थिरता
सरकार, सीनेट और कांग्रेस पर रिपब्लिकन का नियंत्रण होने के कारण नीति निर्माण में स्थिरता आने की भी संभावना है.
कोर्पोरेशन के लिए बेहतर टैक्स पॉलिसी
कॉर्पोरेट टैक्स की दर को 21 प्रतिशत से घटाकर 15 फीसदी करने के डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव से बजटीय दबाव कम होने और अमेरिकी कंपनियों द्वारा विवेकाधीन तकनीकी खर्च का विस्तार होने की संभावना है, जिससे अमेरिका में रजिस्टर्ड भारतीय स्टार्टअप के साथ-साथ टेक कंपनियों को भी लाभ होगा.