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चारधाम यात्रा रूट पर LMMC की डिटेल स्टडी, 55 क्रोनिक लैंडस्लाइड जोन चिन्हित, 'नभनेत्र' रखेगा नजर - CHARDHAM YATRA ROUTE LANDSLIDE ZONE

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने दी जानकारी, लैंडस्लाइड जोन का मैपिंग की कही बात

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चारधाम यात्रा रूट पर LMMC की डिटेल्स स्टडी (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 18, 2024, 6:11 PM IST

Updated : Dec 19, 2024, 3:03 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने चारधाम यात्रा रूट पर लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर (LMMC) की डिटेल्ड स्ट्डी में 55 क्रोनिक लैंडसाइड जोन चिन्हित किये हैं. इन सभी पर नभनेत्र वाहन के जरिए प्लान तैयार किया जाएगा, जिसके जरिये मानसून सीजन में इनके खतरे को देखते हुए ट्रैफिक मैनेज किया जाएगा.

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा रूट पर ऋषिकेश से लेकर चारों धामों तक के मार्ग पर पड़ने वाले सभी तकरीबन 55 ऐसे क्रॉनिक लैंडस्लाइड जॉन पर उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्टडी कर रहा है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन इन सभी लैंडस्लाइड पर साइंटिफिक स्टडी के जरिए डाटाबेस तैयार कर रहा है. साथ ही आपदा प्रबंधन का नवनेत्र वाहन के जरिए इन सभी लैंडस्लाइड की मैपिंग की जा रही है. इस पूरी स्टडी से एक इस तरह का डेटाबेस तैयार किया जाएगा. इससे बारिश की तीव्रता का लैंडस्लाइड पर पड़ने वाले असर की गणना की जाएगी. इस तरह से चिन्हित लैंडस्लाइड वाले क्षेत्र में हो रही बरसात के जरिए लैंडस्लाइड के जोखिम का पूर्वानुमान लगाया जाएगा.

अक्टूबर से शुरू हुआ इन्वेस्टिगेशन का काम:उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर निदेशक शांतनु सरकार ने बताया चारधाम यात्रा रूट पर किए जा रहे हॉटस्पॉट आईडेंटिफिकेशन इन्वेस्टिगेशन में ULMMC सभी लैंडस्लाइड जोन का इन्वेस्टिगेशन कर रही है. जिसमें से अभी फिलहाल 55 जोन को चिन्हित किया गया है. एक-एक कर के सभी लैंडस्लाइड के अलग-अलग पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया अक्टूबर माह से इस इन्वेस्टिगेशन की शुरुआत की गई है. इस इन्वेस्टिगेशन के तहत चारधाम यात्रा रूट पर पड़ने वाले सभी भूस्खलन को लेकर के एक डिटेल रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जिससे आने वाले समय में मौसम को देखते हुए उनके खतरों कम किया जा सकेगा.

चारधाम यात्रा रूट पर LMMC की डिटेल्स स्टडी (ETV BHARAT)

कैसे होती है लैंडस्लाइड जोन स्टडी: शांतनु सरकार ने बताया एक भूस्खलन क्षेत्र यानी लैंडस्लाइड जोन पर जब स्टडी की जाती है तो उसके कई अलग-अलग पहलू होते हैं. जिसमें देखा जाता है कि वह किस तरह का भूस्खलन है. वह रॉक टाइप का भी हो सकता है. सॉइल टाइप का भी हो सकता है या फिर वह सेमी टाइप का भी हो सकता है. इसके अलावा उसकी स्लाइड को देखा जाता है. सभी चीजों को लेकर रिपोर्ट तैयार की जाती है. इस लैंडस्लाइड जोन की हजार्ड मैपिंग की जाती है. जिसमें यह देखा जाता है कि यह माइनर लैंडस्लाइड है या फिर मेजर लैंडस्लाइड. इसके स्लोप की डिग्री का आकलन भी किया जाता है. इन तमाम रिपोर्ट के आधार पर हेविंग की जाती है.

कार्यदाई एजेंसी को दी जाती है एडवाइजरी रिपोर्ट: ULLMC डायरेक्टर शांतनु सरकार ने बताया उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के आधार पर कार्यदायी संस्था को सुझाव दिए जाते हैं. ये सुझाव लैंडस्लाइड ट्रीटमेंट के साथ ही उसकी गुणवत्ता से जुड़े होते हैं. ULLMC डायरेक्टर शांतनु सरकार बताते हैं कि उत्तराखंड में कई ऐसे बड़े लैंडस्लाइड हैं जिन पर काम चल रहा है. जिसमें बलिया नाला हल्ला पानी और पिथौरागढ़ में कुछ मेजर लैंडस्लाइड हैं. इन सभी को लेकर लैंडस्लाइड इन्वेस्टिगेशन किया जा रहा है. इसके अलावा चारधाम यात्रा रूट पर भी इन्वेस्टिगेशन किया जा रहा है.

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया गैस डिटेल स्टडी उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के ही लैंडस्लाइड मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट सेंटर द्वारा तमाम अलग-अलग तकनीकी संस्थानों की मदद से तैयार की जा रही है. उन्होंने बताया उत्तराखंड आपदा प्रबंधन लगातार इस तरह के साइंटिफिक स्टडी चार धाम यात्रा रोड पर कर रहा है.

वहीं, अपर सचिव आनंद स्वरूपने बताया उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के पास मौजूद नभनेत्र वाहन के जरिए इन सभी लैंडस्लाइड जोन का मैप किया जाएगा. इसके अलावा उनकी सॉइल टेस्टिंग और अन्य टेक्निकल इंस्पेक्शन किए जाएंगे. उन्होंने कहा बरसात की तीव्रता के आंकड़ों के साथ इन क्रॉनिक लैंडस्लाइड जोन के डेटा को सिंक्रोनाइज किया जाएगा. मानसून समय में उसे क्षेत्र में हो रही बरसात को देखते हुए इन लैंडस्लाइड के जोखिम का आंकलन किया जाएगा. उसी के आधार पर वहां पर मौजूद ट्रैफिक को या तो रोका जाएगा या फिर आगे भेजा जाएगा.

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Last Updated : Dec 19, 2024, 3:03 PM IST

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