जांजगीर चांपा : केएसके महानदी पावर प्लांट का विवादों से गहरा नाता है. प्लांट स्थापना के साथ ही भू विस्थापित मुआवजा, नौकरी की मांग के साथ प्लांट प्रबंधन पर 11 गांव के निस्तारी रोकदा डेम को पाटने का आरोप लगता आ रहा है. इस बार भू विस्थापितों ने 23 सूत्रीय मांगों को लेकर रविवार से प्लांट के मुख्य गेट के सामने धरना प्रदर्शन शुरू किया है. एक दिन गुजरने के बाद जब प्लांट प्रबंधन ने भू विस्थापितों से कोई चर्चा नहीं की तो दूसरे दिन भूविस्थापित तीनों गेट के सामने बैठकर धरना प्रदर्शन करने लगे.इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने मजदूरों समेत ट्रकों को प्लांट के अंदर नहीं जाने दिया. भू विस्थापितों ने प्लांट प्रबंधन पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए नदी से पानी और रेल मार्ग को भी रोककर प्लांट में कोल परिवहन रोकने की योजना बनाई है.
केएसके महानदी पावर प्लांट प्रबंधन के खिलाफ भू विस्थापित, 11 साल बाद भी वादे नहीं किए पूरे - भू विस्थापित
KSK Mahanadi Power Plant जांजगीर चांपा में केएसके महानदी पावर प्लांट प्रबंधन के खिलाफ भू विस्थापितों ने एक बार फिर मोर्चा खोला है. जांजगीर चांपा के नरियरा में पावर प्लांट का संचालन हो रहा है.लेकिन इस प्लांट के लिए जिन भू-स्वामियों से जमीन ली गई थी वो अब प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. भू-स्वामियों की माने तो उनसे जो वादे प्रबंधन ने जमीन लेने से पहले किए थे, वो पूरे नहीं किए गए हैं. इसलिए वो आंदोलन पर उतारू हैं.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Feb 12, 2024, 5:54 PM IST
प्रबंधन ने निर्देश की अनदेखी की :केएसके महानदी पावर प्लांट के मुख्य द्वार पर मजदूरों ने आंदोलन से पहले जिला प्रशासन से गुहार लगाई थी. इसके लिए अपनी मांग पूरी करने का लिखित आवेदन दिया था. जिसके बाद जिला प्रशासन ने प्लांट प्रबंधन और भू विस्थापितों के साथ मिलकर प्रभावितों की जमीन का सर्वे कराया .इसके बाद 10 फरवरी तक प्रकरणों का निपटारा करने के निर्देश दिए थे. लेकिन प्लांट प्रबंधन ने जिला प्रशासन के आदेश को अनसुना कर दिया. प्रकरण निपटारा करने के लिए प्रबंधन की ओर से तय तारीख तक कोई नहीं आया. इसलिए अब जिला प्रशासन भी भू विस्थापितों पर कड़ाई करने से बच रहा है. लॉ एन्ड आर्डर की स्थिति ना बिगड़े इसलिए मौके पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल तैनात किया गया है.
11 साल बाद भी मांग अधूरी :एशिया का सबसे बड़े केएसके महानदी पावर प्लांट 32सौ मेगा वाट के खुलने से क्षेत्र के लोग खुश थे.लेकिन प्लांट लगने के 11 साल बाद भी लोगों को जमीन का मुआवजा नहीं मिला और ना ही जमीन के बदले नौकरी मिली. कुछ समय तक प्रभावितों को पेंशन दिया गया.लेकिन अब उसे भी बंद कर दिया गया. प्लांट ने गोद लिए गांवों का विकास करने में भी कोई रूचि नहीं दिखाई. जिसके कारण भू विस्थापित अब आर पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं.