पटना:बिहार में साल 2005 से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे हैं. सत्ता पर काबिज होने में उनका कोर वोट बैंक लव-कुश यानी कुर्मी और कुशवाहा (कोइरी) की बड़ी भूमिका है. इसी वोट बैंक के सहारे नीतीश कुमार ने लालू यादव को बिहार की सत्ता में हाशिये पर पहुंचा दिया था लेकिन 2020 विधानसभा चुनाव से कुशवाहा वोट बैंक में बड़ा डेंट लगा. वहीं हालिया लोकसभा चुनाव में लालू ने कुशवाहा वोट बैंक के एक बड़े हिस्से को अपने साथ जोड़ने में सफलता भी पाई है. उसका नुकसान जेडीयू और बीजेपी को हुआ है.
लालू ने कुशवाहा पर चला बड़ा दांव: लालू यादव ने एक कदम आगे बढ़कर लोकसभा में संसदीय दल का नेता भी अभय कुशवाहा को बनाकर बड़ा गेम खेला है. इस फैसले ने नीतीश कुमार की नींद उड़ा दी है. यही वजह है कि नीतीश कुमार अब लालू के गेम प्लान को काटने में लग गए हैं. विधान परिषद चुनाव में शाहाबाद के बड़े कुशवाहा नेता को चुनावी मैदान में उतारा है. आरजेडी और जेडीयू दोनों तरफ से कुशवाहा वोट बैंक को लेकर अपनी दावेदारी हो रही है.
बिहार की राजनीति में कुशवाहा कार्ड:2020 विधानसभा चुनाव में 16 कुशवाहा विधायक चुनकर आए थे. जिसमें बीजेपी के 3 विधायक, जेडीयू के 4 विधायक, आरजेडी के 4 विधायक, सीपीआईएमएल के 4 विधायक और सीपीआई के एक विधायक शामिल हैं. 2024 लोकसभा चुनाव जो हाल ही में संपन्न हुआ है, उसमें भी कुशवाहा वोट बैंक को साधने के लिए लालू ने महागठबंधन की तरफ से 7 उम्मीदवार को मैदान में उतार दिया. उसके जवाब में एनडीए की तरफ से केवल 4 उम्मीदवार दिया गया. जेडीयू के 3 और एक उपेंद्र कुशवाहा खुद चुनाव लड़े लेकिन सबसे चौंकाने वाला रिजल्ट आरजेडी से अभय कुशवाहा ने दिया. उन्होंने औरंगाबाद से जीत हासिल की.
जेडीयू से आरजेडी में आए अभय:औरंगाबाद से सांसद बनने वाले अभय कुशवाहा पहले जेडीयू में थे लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही वह आरजेडी में शामिल हुए थे. उनको लालू यादव ने टिकट दिया और वह जीत भी गए. अब लालू ने लोकसभा उनको आरजेडी संसदीय दल का नेता बना दिया है. एक तरह से उन्होंने कुशवाहा वोट बैंक को साधने के लिए बड़ा गेम खेला है.
भगवान कुशवाहा पर नीतीश का दांव:बिहार में कुशवाहा वोट बैंक 6% के करीब है और विधानसभा और लोकसभा की कई सीटों पर जीत हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं. ऐसे में नीतीश कुमार जिनका कोर वोट बैंक कुशवाहा और कुर्मी रहा है, उनकी चिंता बढ़ा दी है. इसीलिए लालू यादव के गेम प्लान को काटने के लिए नीतीश कुमार ने शाहाबाद के बड़े कुशवाहा नेता भगवान सिंह कुशवाहा को विधान परिषद की खाली हुई एक सीट पर चुनाव में उतारा है.
उपेंद्र कुशवाहा को भी रखेंगे साथ:चर्चा ये भी है कि काराकाट से चुनाव हारने वाले उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा की खाली हुई दो सीटों में से एक पर भेजा जा सकता है. उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से चुनाव इसलिए हार गए, क्योंकि वहां से भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह निर्दलीय चुनाव मैदान में अचानक कूद पड़े और राजपूतों का समीकरण पूरी तरह से बदल दिया. काराकाट का असर अंतिम चरण के कई लोकसभा सीटों पर भी पड़ा, जिसका नुकसान एनडीए को हुआ. अब उपेंद्र कुशवाहा नाराज हैं. ऐसे में उनकी नाराजगी को दूर करने की कोशिश उन्हें राज्यसभा भेज कर किया जा सकता है. हालांकि अभी तक चुनाव की तरफ से चुनाव की घोषणा नहीं हुई है और न ही एनडीए की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा के नाम की घोषणा की गई है.
लव-कुश पर जेडीयू का दावा:हालांकि जेडीयू नेताओं का दावा है कि लव-कुश समाज हमेशा से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रहा है. ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि कोई कुछ भी कर लें लेकिन सीएम को हर समाज का समर्थन प्राप्त है. वहीं भवन निर्माण मंत्री जयंत राज ने कहा कि हमेशा से मुख्यमंत्री ने कुशवाहा समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिया है. इसलिए इस समाज का जेडीयू को समर्थन मिलता रहा है.
"लोग कुछ भी माइनस-प्लस करते रहे हैं लेकिन कुशवाहा समाज का समर्थन हम लोगों को मिलता रहा है. लोकसभा चुनाव में भी एनडीए उम्मीदवारों को साथ मिला है और आगे भी मिलेगा. इसलिए चिंता या प्लान बदलने जैसी कोई बात नहीं है."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री
क्या बोला आरजेडी?:वहीं, आरजेडी का कहना है कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने 7 कुशवाहा उम्मीदवारों को मैदान में उतार कर यह बता दिया कि कुशवाहा की चिंता कौन करता है. उन्होंने कहा कि जब टिकट देना था तो उस समय नीतीश कुमार को याद नहीं आई. अब कुछ भी कर लें लेकिन कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ जाने वाला नहीं है. अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता बनाकर हमने कुशवाहा समाज को सम्मान दिया है.
"लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने सात कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट दिया. इससे साफ पता चलता है कि कुशवाहा समाज की चिंता कौन करता है. टिकट देने में तो नीतीश कुमार को कुशवाहा समाज की याद नहीं आई. अभय कुशवाहा को संसदीय दल का नेता भी राजद ने ही बनाया है तो कुशवाहा समाज जरूर देख रहा है कि उनके लिए कौन काम कर रहा है."- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल