देहरादून:कुमाऊं के तराई पूर्वी वन प्रभाग क्षेत्रों में तस्करों के तांडव की खबरें लगातार सामने आती रही हैं. बीते दिनों तस्करों की धमक से जंगल तो गूंजा ही साथ ही गश्त पर निकले वन कर्मियों को उल्टे पांव दौड़ना भी पड़ा. इस घटना ने जंगलों में तस्करों के मजबूत इरादे और वन कर्मियों की लाचारी को भी जाहिर कर दिया. जबकि उत्तराखंड में वन महकमा लंबे समय से संसाधनों की कमी जूझ रहा है.
विभागीय मंत्री ने सख्त कार्रवाई की बात:इस मामले में कुमाऊं चीफ धीरज पांडे से संपर्क करने की कोशिश की गई ताकि इसके पीछे के कारणों को जाना जा सके, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. वहीं मामले में विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि जिस तरह की घटनाएं होने की बात कुमाऊं क्षेत्र में कही जा रही है, उस पर विभाग की पूरी नजर है और कोई कितना ही बड़ा अपराधी क्यों ना हो उसे बख्शा नहीं जायेगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
विभाग में गाड़ी और हथियारों की कमी:प्रदेश के कई प्रभागों से गाड़ियों की डिमांड जाती रही है. कई जगह गाड़ियां इतनी पुरानी हो गई है कि अब उन्हें चलाना भी मुश्किल हो गया है. उधर कई जगह पर पर्याप्त संख्या में गाड़ियां ही मौजूद नहीं है. जाहिर है कि बजट की कमी के कारण ही सब जगह पर्याप्त नई गाड़ियां नहीं पहुंचाई जा सकी हैं. यह सब तब है जब बड़े अफसर के लिए 15 लाख से ज्यादा की गाड़ियां हाल ही में खरीदी गई हैं.सबसे चौंकाने वाली बात यह है गाड़ियों के साथ हथियारों के मामले में भी वन विभाग काफी पीछे दिखाई देता है.