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उत्तराखंड में बाघों की हो रही अनदेखी! फ्रंट लाइन स्टाफ की कमी से जूझ रहा वन विभाग - CORBETT TIGER RESERVE

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए फ्रंट लाइन स्टाफ नहीं है. इस पर वन्यजीव प्रेमियों ने चिंता जाहिर की है.

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उत्तराखंड में बाघों की हो रही अनदेखी! (photo-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 1, 2025, 4:11 PM IST

रामनगर:कॉर्बेट टाइगर रिजर्व बाघों के लिए देश-दुनिया में मशहूर है. बाघों को देखने के लिए दुनिया भर से हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. लेकिन इन बाघों की सुरक्षा के लिए मैन पावर कम है. यहां फ्रंट लाइन स्टाफ की कमी है, जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए भी हैरत से कम नहीं. वन्यजीव प्रेमियों ने इस पर चिंता जाहिर की है.

1,288 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला कॉर्बेट नेशनल पार्क:गौर हो कि विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क 1,288 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां के जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा में पार्क प्रशासन हमेशा मुस्तैद दिखाई देता है. लेकिन यहां पर वन विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में वन कर्मचारियों के साथ-साथ अन्य स्टाफ नहीं है. राज्य सरकार द्वारा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में फॉरेस्ट गार्ड के 217 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इन पदों पर केवल 156 लोग ही तैनात हैं, जबकि 61 पद खाली हैं.

उत्तराखंड में बाघों की हो रही अनदेखी (VIDEO-ETV Bharat)

फॉरेस्टर के 65 में से 12 पद खाली:वहीं, अगर फॉरेस्टर के पदों की बात करें तो पार्क में 65 पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां 12 पद खाली हैं, जो सरकार द्वारा लंबे समय से नहीं भरे गए. हालांकि कॉर्बेट प्रशासन इसकी पूर्ति के लिए दैनिक श्रमिक और प्रोटेक्शन फोर्स के लोगों से काम ले रहा है.

वन्यजीव प्रेमियों ने जताई चिंता:वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल ने बताया कि कई बार कॉर्बेट में मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं भी होती हैं. यह क्षेत्र बाघ बाहुल्य क्षेत्र है. वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की पर्याप्त संख्या में तैनाती ना होना, चिंता का विषय है.

फॉरेस्ट गार्ड और फॉरेस्टर की कमी जल्द होगी दूर:कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला ने बताया कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत फील्ड लेवल स्टाफ है. फॉरेस्ट गार्ड और जो फॉरेस्टर हैं, उसमें जो सैंक्शन पोस्ट अंतर्गत कमी है. उसको पूरा करने के लिए डेलीवेज कर्मचारी और टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स में रिटायर्ड फौजियों को रखा जाता है. उनके माध्यम से कर्मचारियों की कमी को पूरा किया जाता है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जल्द ही फॉरेस्ट गार्ड और फॉरेस्टर की कमी को दूर किया जाएगा.

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