गिरिडीहः वैसे तो देश के सभी गांव मुहल्ले तक बिजली पहुंचाने का दम्भ सरकार भरती है लेकिन अभी भी कुछेक गांव का टोला है, जहां तक बिजली नहीं पहुंची है. ऐसी स्थिति भुराई आदिवासी टोला की है. सदर प्रखंड अंतर्गत पुरनानगर पंचायत में पड़ने वाले इस टोला के लगभग तीन दर्जन घरों तक बिजली नहीं पहुंची है. इन तीन दर्जन घरों में जब बिजली नहीं है तो बिजली से जुड़ा एक भी उपकरण भी नहीं है. एक दो लोगों के पास मोबाइल है जो पास के गांव में जाकर चार्ज करते हैं.
चिराग तले अंधेरा!
भुराई के जिस आदिवासी टोला की बात हम कर रहे हैं वहां के लोगों का दुर्भाग्य हम इससे ही समझ सकते हैं कि इस टोला के समीप के चारों तरफ स्थित गांव-मोहल्ले में बिजली है. शाम ढलने के बाद उन गांव-मोहल्ले के घर रौशनी से गुलजार होते हैं लेकिन इस आदिवासी टोला के लोग अंधेरे में रहते हैं. आलम यह है कि इस आदिवासी टोला के लोगों की जिंदगी पेंसिल बैटरी से चलनेवाले टॉर्च से चल रही है. कुछेक घर में सोलर लैंप है.
भुराई गांव के महेंद्र सोरेन बताते हैं कि इस आदिवासी टोला में 35-40 परिवार रहते हैं लेकिन आजतक यहां बिजली नहीं आयी. इस टोला में तो खम्भा भी नहीं लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इस टोला के दो घर के लोगों द्वारा अपने निजी खर्च पर समीप के गांव से तार खींच कर लाया गया है बाकी सभी घर अंधेरा में है. यहां की रहने वाली एक अधेड़ महिला ने बताया कि वह जब से ब्याह कर गांव आयी है तब से बिजली देखा नहीं.
एक हाथ में कलम, दूसरे में टॉर्च