कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बीते साल बरसात में आई आपदा से सबसे अधिक नुकसान जिला कुल्लू में हुआ है. हालांकि व्यवस्था को धीरे-धीरे पटरी पर लाने की कोशिश की जा रही है, मगर अभी तक व्यवस्था पटरी पर लौटी नहीं है, जबकि बरसात एक बार फिर आने को है. कुल्लू जिले में कई लोगों के घर और जमीन बाढ़ और लैंडस्लाइड की चपेट में आए थे. बड़ी संख्या में सड़कें क्षतिग्रस्त हुई और कुछ हिस्सों में तो सड़कें ही गायब हो गई. कुल्लू जिले का भुंतर से मणिकर्ण मार्ग पर्यटन की दृष्टि से सबसे अहम है. यहां पर 35 किलोमीटर सड़क 22 जगहों पर क्षतिग्रस्त हुई है. इसमें कुछ हिस्सा पूरी तरह से पार्वती नदी में बह गया.
टूरिस्ट सीजन में भी पर्यटन कारोबारियों को नुकसान
वहीं, इस साल कुल्लू जिले में कई जगहों की हालत को देख पर्यटकों ने समर सीजन में मुंह मोड़ लिया है. इससे धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण, कसोल, तोष, खीरगंगा सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर पर्यटक तो पहुंचे, लेकिन सड़क मार्ग के खस्ताहाल होने के कारण बहुत कम संख्या में पर्यटक आ पाए हैं. जिसका घाटी वासियों को खासा मलाल है. हालांकि लोक निर्माण विभाग की ओर से भुंतर से मणिकर्ण मार्ग की मरम्मत के लिए 30 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की गई है. इसके बाद सड़क बहाली के लिए लगातार काम भी किया जा रहा है, लेकिन अभी तक मार्ग दुरूस्त नहीं हो पाया है. जबकि समर पर्यटन सीजन खत्म होने को है. ऐसे में पर्यटन कारोबारियों में सरकार के प्रति खासी नाराजगी है.
ब्यास में बड़े पत्थरों को हटाने का फरमान
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को बरसात से पहले ब्यास नदी के बीच बड़े पत्थरों को हटाने के आदेश जारी किए हैं. ये काम जब ब्यास नदी में पानी का स्तर कम था, उस समय किया जाना था, लेकिन एनएचआई ने अभी तक ये काम नहीं किया है. अभी तक नदी किनारे को सुरक्षित रखने के संबंध में कोई काम नहीं किया गया है. जबकि ब्यास नदी का जलस्तर अभी वापस बढ़ रहा है. ऐसे में अब ब्यास नदी नदी में काम करना खतरे से खाली नहीं है.
कम हुई नदी के साथ सड़क की ऊंचाई