रांची: झारखंड में टोटेमिक कुड़मी और कुरमी (महतो) को ओबीसी की जगह अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग तेज की. इसके साथ ही कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में विशाल कुड़मी हुंकार रैली का आयोजन किया गया.
टोटेमिक कुड़मी समाज और कुड़मी सेना सहित कई कुड़मी महतो सामाजिक संस्थाओं द्वारा अयोजित इस हुंकार रैली में अलग अलग जिले से बड़ी संख्या में कुड़मी समाज के लोग पहुंचे. इस रैली के माध्यम से वक्ताओं ने भाजपा और केंद्र की सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर कुड़मी को आदिवासी का दर्जा देने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता है तो लोकसभा चुनाव में भाजपा को इसकी कीमत चुकानी होगी.
साजिश के तहत कुड़मी को अनुसूचित जनजाति से किया गया था अलगः
ओरमांझी से कुड़मी हुंकार रैली में शामिल होने आईं कुड़मी नेता सुनीता देवी ने कहा कि वर्ष 1931 से पहले वर्तमान झारखंड वाले इलाके में रहने वाले कुड़मी और कुरमी महतो जाति अनुसूचित जनजाति के तहत आते थे. लेकिन 1931 में एक साजिश रचकर इस समाज को अनुसूचित जनजाति से अलग कर दिया गया. उन्होंने कहा कि उनका रहन-सहन, खान-पान, बोली-भाषा सबकुछ अनुसूचित जनजाति से मेल खाती है फिर हम ओबीसी में क्यों हैं. सुनीता देवी ने कहा कि आज अभाव में जी रहे कुड़मी समाज के लोगों के बच्चों को उनका हक नहीं मिल रहा है, सरकार की कई योजनाओं से ये समाज वंचित हैं. ऐसे में कुड़मी समाज अब अपनी हक की आवाज को बुलंद करने और अपनी ताकत दिखाने के लिये तैयार है.