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कोरिया के हेल्थ सेंटर्स पर कब जागेगा प्रशासन, बेहतर इलाज का सपना कैसे होगा पूरा ? - Koriya sub health centre

कोरिया में भवन विहीन उपस्वास्थ्य केन्द्र होने के कारण ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

Koriya sub health centre
भवन विहीन उपस्वास्थ्य केन्द्र (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 2, 2024, 7:12 PM IST

कोरिया को जल्द मिलेगी सौगात (ETV Bharat)

कोरिया:कोरिया के तीन हजार से अधिक आबादी वाला उपस्वास्थ्य केंद्र बरदिया भवन के लिए मोहताज है. मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जैसे-तैसे सामुदायिक भवन में उपस्वास्थ्य केंद्र का संचालन किया जा रहा है. भवन की मांग करते-करते 5 साल से अधिक का समय बीत गया है, हालांकि भवन निर्माण नहीं हो पाया. यही कारण है कि यहां इलाज के लिए आने वाले ग्रामीणों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

भवन विहीन उपस्वास्थ्य केन्द्र: दरअसल, कोरिया जिले में कुल 89 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं. इनमें 7 भवन विहीन है, जिनमें 5 जर्जर हालात में है. एक भवन निर्माणाधीन है. 6 उपस्वास्थ्य केंद्र भवन निर्माण के लिए सीजी एमएससी के माध्यम से निविदा प्रक्रियाधीन है. जिले के पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत पड़ने वाले उपस्वास्थ्य केंद्र बरदिया लगभग 5 सालों से पंचायत के छोटे से सामुदायिक भवन में संचालित किया जा रहा है. यहां उप स्वास्थ्य केंद्र को मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है, जो स्वयं के भवन में ही व्यवस्थित होगी. इस उपस्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कर्मचारी तैनात हैं. कुछ हद तक उपचार भी हो जाता है. सबसे खास बात है कि महिलाओं को सुरक्षित प्रसव की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उपस्वास्थ्य केंद्र को सरकार सर्व सुविधा युक्त कर रही है.

एसडीएम और तहसीलदारों को कहा गया है. स्थान का चयन जल्द से जल्द कर भवन निर्माण का काम शुरू किया जाएगा. -विनय कुमार लहंगे, कलेक्टर, कोरिया

ग्रामीणों को नहीं मिल रही बेहतर स्वास्थ्य सुविधा: इस उपस्वास्थ्य केन्द्र की ऐसी स्थिति है कि महिलाओं को जांच के अलावा प्रसव पीड़ा के दौरान गांव के उपस्वास्थ्य केंद्र को छोड़ 5 से 6 किलोमीटर दूर पटना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि बरदिया में उपस्वास्थ्य केंद्र का स्वयं का भवन नहीं है. भवन है, लेकिन जर्जर. भवन रिपेयरिंग के लिए राशि स्वीकृत भी हुई. हालांकि अब कहा जा रहा है कि भवन रिपेयरिंग के लायक नहीं है. इसके बाद प्रशासनिक स्तर से नए भवन की मांग उठी, लेकिन 5 साल से अधिक का समय बीत गया है. नए भवन की मांग पूरी नहीं हुई है. आलम यह है कि ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती है.

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