कोरिया: कोरिया के सोनहत में बीते 8 नवंबर को एक बाघ की मौत हुई थी. इस केस में वन विभाग की जांच रिपोर्ट आ गई है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान आईवीआरआई बरेली से आई रिपोर्ट में जहर से मौत की पुष्टि नहीं हुई है. वन विभाग पहले बाघ की संदिग्ध मौत मान रहा था. वन विभाग जहरखुरानी से मौत का अंदेशा जता रहा था.
जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा: बाघ की मौत में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. जांच रिपोर्ट में बाघ के शरीर से किसी भी तरह के जहर का सैंपल नहीं मिला है. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान आईवीआरआई बरेली की रिपोर्ट में लिखा है कि बाघ की किडनी, लीवर, लंग, हार्ट स्प्लीन और पेट से जो सैंपल लिए गए थे. बाघ के शरीर के इन हिस्सों में किसी भी तरह के टॉक्सिन मैटेरियल (विषाक्त पदार्थ) नहीं पाए गए हैं. बाघ के शरीर में जहर का कोई अंश नहीं मिला है.
कोरिया में बाघ की मौत का मामला (ETV BHARAT)
बाघ के शरीर में किसी भी प्रकार के टॉक्सिन की पुष्टि नहीं हुई है. जांच रिपोर्ट निगेटिव है. बाघ के शरीर के कई हिस्सों किडनी, लीवर, लंग, हार्ट स्प्लीन और पेट में मिले पदार्थ की जांच की गई. उसमें किसी तरह का जहर नहीं पाया गया है: भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, Indian Veterinary Research Institute, IVRI, बरेली
कोरिया वन विभाग (ETV BHARAT)
सरगुजा वन विभाग की क्या थी रिपोर्ट ?: इससे पहले सरगुजा वन वृत क्षेत्र ने 12 नवंबर को एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में बाघ के शरीर पर किसी खतरनाक वन्य प्राणी के निशान नहीं मिले थे. पशु चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के बाद बाघ की मौत का समय 5 दिन पहले बताया. वन विभाग की इस रिपोर्ट के मुताबिक बाघ का शव पांच दिन पुराना था. जिस बाघ की मौत हुई थी वह चार से पांच साल का था.
वन क्षेत्रपाल पर हुई कार्रवाई: इस केस में सोनहत के वन परिक्षेत्र अधिकारी विनय कुमार सिंह पर गंभीर आरोप लगे. उन्हें निलंबित कर दिया गया. वन विभाग ने विनय कुमार सिंह पर ग्रामीणों को पर्याप्त सुरक्षा नहीं देने का आरोप लगाया. इसके साथ अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ समन्वय की कमी का भी आरोप उनपर लगा. वन विभाग की रिपोर्ट में यह भी आरोप लगा कि उन्होंने उच्च अधिकारियों के निर्देशों का पालन नहीं किया.