'ज्योत्सना महंत सबसे निष्क्रिय सांसद,भोपाल में बिताया पूरा समय, ये स्थानीय नहीं देश का चुनाव है' : सरोज पाण्डेय - Lok Sabha Election 2024
Saroj Pandey Attacks Jyotsna Mahant कोरबा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सरोज पाण्डेय ने मौजूदा सांसद ज्योत्सना महंत को निष्क्रिय नेता बताया है. सरोज पाण्डेय ने वादा किया है कि चुनाव जीतने के दो साल के अंदर कोरिया जिले की सूरत बदल दी जाएगी.
कोरिया : कोरबा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सरोज पाण्डेय ने एक बार फिर मौजूदा कांग्रेस सांसद ज्योत्सना महंत पर हमला बोला है.सरोज पाण्डेय ने कांग्रेस सांसद को लोकसभा में निष्क्रिय बताया. सरोज पाण्डेय की माने तो सांसद ने अपने कार्यकाल में किसी भी क्षेत्र का दौरा नहीं किया है. सरोज पाण्डेय ने दावा किया है कि सरोज पाण्डेय ने पांच साल में सिर्फ 17 बार कोरबा का दौरा किया है.
छत्तीसगढ़ का विकास हुआ शून्य : बीजेपी की सांसद प्रत्याशी सरोज पाण्डेय ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पिछली सरकार में छत्तीगढ़ का विकास रुक सा गया था. ना ही प्रदेश में कोई निर्माण कार्य हुआ और ना ही किसी भी तरह की तरक्की हुई.कांग्रेस शासन में छ्त्तीसगढ़ का शासन शून्य था.कोरिया जिला बनने के बाद कोरिया का विकास एक जिले की तरह नहीं हुआ है. अभी भी कोरिया एक तहसील की तरह नजर आता है. हम प्रयास करेंगे कि जिले का विकास एक जिले की तरह हो. जिले में सड़क चौड़ीकरण, ऑडिटोरियम, स्कूल कॉलेज में उच्च शिक्षा की ओर विशेष कार्य किए जाएंगे.
बाहरी होने के सवाल पर पलटवार : चुनाव जीतने के 2 साल के भीतर ही एम्स की तर्ज पर कोरिया जिले में सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाया जाएगा.गंभीर से गंभीर रोगों का इलाज कोरिया जिले में ही होगा.कोरिया को पर्यटन के नक्शे पर विकसित किया जाएगा. क्षेत्र की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम देखना चाहती है.यही वजह है कि हम छत्तीसगढ़ की सभी 11 की 11 सीटें जीतने जा रहे हैं.सरोज पाण्डेय ने खुद को बाहरी बताए जाने पर जवाब भी दिया.
''सोनिया गांधी देश के बाहर की हैं. इस पर कांग्रेसी क्या कहेंगे.यह केवल राजनीतिक बयानबाजी कांग्रेसी कर रहे हैं. राहुल गांधी दिल्ली छोड़कर अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ते हैं. इतना ही नहीं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बनारस से चुनाव लड़ते हैं. ये स्थानीय नहीं बल्कि देश का चुनाव है.''- सरोज पाण्डेय, बीजेपी प्रत्याशी,कोरबा
चुनाव जीतने के बाद प्रत्येक जिला मुख्यालय में एक संसदीय कार्यालय होगा. जिसमें सभी स्टाफ होंगे. यही नहीं महीने में कम से कम एक बार उस कार्यालय में उपस्थित होकर सभी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा.