लखनऊ : राजधानी में पीजीआई के जूनियर डाॅक्टरों ने बुधवार देर रात हड़ताल खत्म कर दी है. कोलकाता में बीते दिनों हुए महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ रेप मर्डर मामले में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय व पीजीआई के चिकित्सक प्रदर्शन कर रहे थे. प्रदर्शन का असर मरीजों पर भी पड़ रहा था. जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से प्रदेश भर से इलाज करने के लिए पहुंचे मरीजों को खास दिक्कत हुई. सीनियर डॉक्टरों ने ओपीडी की कमान संभाली. इसके अलावा बहुत सारे गंभीर ऑपरेशन को टाल दिया गया. रेजिडेंट डॉक्टर उत्कर्ष के मुताबिक, पीजीआई में हड़ताल खत्म कर दी गई है. कोलकाता मामले को लेकर जूनियर डॉक्टर्स ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
केजीएमयू और लोहिया का नहीं रुका प्रदर्शन :यूपी के टॉप मेडिकल संस्थान एसजीपीजीआई में भी मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलना पड़ी. हालांकि, यहां की जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने मरीजों की हित में इमरजेंसी सहित सभी अनिवार्य चिकित्सा की सेवाओं को जारी रखने की बात कही है. सुबह करीब नौ बजे से केजीएमयू और लोहिया के जूनियर डॉक्टरों ने आन्दोलन शुरू कर दिया. ओपीडी में जूनियर डॉक्टरों ने काम करने से मनाकर दिया. अधिकारियों ने जूनियर डॉक्टरों को मनाने का काफी प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने. जूनियर डाॅक्टर नारेबाजी करते हुए ओपीडी से बाहर निकल आए. परिसर में घूम-घूम कर काम कर रहे जूनियर डॉक्टरों को एकत्र किया. इससे वार्डों में भी अफरा-तफरी मच गई. डॉक्टर मरीजों को छोड़ आंदोलन में कूद पड़े. स्टाफ नर्स व पैरामेडिकल के भरोसे मरीज रहे.
केजीएमयू की ओपीडी में मरीजों का खासा दबाव था. काफी मरीज तो पीजीआई में इलाज न मिलने से मायूस होकर केजीएमयू आए. यहां भी मरीजों के हाथ निराशा लगी. पर्चा बनने के बाद मरीजों को डॉक्टर की सलाह नहीं मिल पाई. करीब 1000 से ज्यादा मरीज बिना इलाज लौट गए. 20 से अधिक ऑपरेशन टालने पड़े. बहराइच के युवक को तेज बुखार, शरीर में सूजन थी के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ थी. ट्रॉमा से मरीज को ओपीडी में भेजा गया. यहां मरीज को तीन बजे तक इलाज नहीं मिला. इसी प्रकार गोंडा की महिला को उल्टी व चक्कर आने की शिकायत थी. ईएनटी विभाग की ओपीडी में महिला को इलाज नहीं मिला. वह निजी अस्पताल में इलाज के लिए चली गईं.