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हर वर्ष बढ़ रहा पलामू का औसत तापमान! जानें, क्या है कारण - Heat wave in india - HEAT WAVE IN INDIA

पलामू का औसत तापमान हर वर्ष बढ़ रहा है. झारखंड का ये जिला गर्मी के दिनों में देश में सबसे अधिक तापमान के हर साल आंकड़े का रिकॉर्ड नया बना रहा है. इसके पीछे क्या वजह है और क्या कहते हैं पर्यावरणविद, जानें ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से.

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ग्राफिक्स इमेज (ETV Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 30, 2024, 6:16 PM IST

पलामूः साल 2018 के बाद से पलामू का लगातार औसत तापमान बढ़ता जा रहा है. प्रत्येक वर्ष पलामू के इलाके में तापमान के नए रिकॉर्ड के आंकड़े दर्ज किया जा रहे हैं. 2018 के बाद से तीन मौकों पर पलामू में देश में सबसे अधिक तापमान के आंकड़े का रिकॉर्ड किया गया है.

जानकारी देते पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल (ETV Bharat)

पलामू प्रमंडल के गढ़वा के इलाके में बुधवार को 48 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड किया गया. पलामू के इलाके में यह आंकड़ा सबसे अधिक है. पलामू में लगातार तापमान का बढ़ना एक नई चुनौती बनती जा रही है और यह लोगों के जनजीवन को प्रभावित करने लगी है. पलामू का इलाका देश में रेन शैडो एरिया के रूप में जाना जाता है, जहां बेहद ही कम मात्रा में बारिश होती है. 1990 के बाद से पलामू का इलाका 12 से अधिक बार सुखाड़ की चपेट में रहा है. पलामू से कर्क रेखा गुजरती है, जिस कारण यहां अत्यधिक गर्मी और ठंड पड़ती है.

37 से 41 डिग्री सेल्सियस हुआ पलामू का औसत तापमान

पलामू का औसत तापमान प्रत्येक वर्ष बढ़ता जा रहा है. यह बढ़ोतरी 2018 के बाद से लगातार रिकॉर्ड किए जा रहे है. गर्मी के दिनों में पलामू का औसत तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है. 8 मई 2018 को पलामू में सबसे अधिक 44 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड किया गया. 2019 में 13 जून को 46.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया. 2022 में 30 अप्रैल को अधिक तक तापमान 46 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड रहा. 26 मई 2023 को 45 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड किया गया. वहीं 2024 में पलामू में 28 मई को 47.5 जबकि 29 मई को 47.8 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकार्ड किया गया.

पलामू के औसत तापमान के 6 साल के आंकड़े (ETV Bharat)

पलामू का औसत तापमान बढ़ता जा रहा है, लोग अर्थ के लिए अनर्थ कर रहे हैं. आबादी बढ़ी है वन क्षेत्र कम हुए है. पलामू का इलाका रेन शैडो एरिया में है, जहां-जहां माइनिंग होती वहां पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. लोगों को पर्यावरण धर्म की पालन करने की जरूरत है. -कौशल किशोर जायसवाल, पर्यावरणविद सह वन राखी मूवमेंट के प्रणेता.

एक दशक में बढ़ गई स्टोन माइनिंग, कई इलाकों में कम हुए जंगल

इसको लेकर लेकर पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल का मानना है कि पिछले एक दशक में पलामू के इलाके में स्टोन माइनिंग कई गुना बढ़ गई है. पलामू का छतरपुर, चैनपुर समेत कई इलाकों में स्टोन के बड़े-बड़े माइंस हैं. 2014-15 में पलामू के इलाके में स्टोन के आधा दर्जन सभी काम माइंस थे. फिलहाल पलामू के इलाके में स्टोन के 25 से भी अधिक माइंस हैं. वहीं पलामू के कई इलाकों में जंगल का दायरा घटा है. यहां पर जंगलों की कटाई के कारण भी तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है.

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