रायपुर:बांझपन के क्या कारण हैं? इसकी पहचान कैसे और कब होती है? ऐसे में महिला और पुरुष को कौन-कौन से टेस्ट करवाने जरूरी होते हैं? पुरुष या महिला इसके लिए कहां तक जिम्मेदार है? इस बारे में ईटीवी भारत ने स्त्री रोग की विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "दांपत्य जीवन के 1 साल पूरे होने के बाद भी अगर कोई दंपति बच्चा चाहता है या महिला गर्भधारण करना चाहती है, तो उसे संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है. ऐसे में कुछ उपाय हैं, जिसके माध्यम से बांझपन या इनफर्टिलिटी को दूर किया जा सकता है."
जानिए क्या है बांझपन के लक्षण और कारण, कौन से इलाज से मिलेगी मुक्ति - causes of infertility
बांझपन के कई कारण होते हैं. अगर समय से उपचार किया जाए तो बांझपन से छुटकारा मिल सकता है. इस बारे में ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सावेरी सक्सेना से बातचीत की.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : May 4, 2024, 9:16 PM IST
जानिए क्या कहते हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया कि, "दांपत्य जीवन के 1 साल बीतने के बाद भी अगर बच्चा पैदा नहीं हो रहा है या महिला गर्भधारण नहीं कर पा रही है, तो ऐसी स्थिति में अपने चिकित्सक से परामर्श लेना भी जरूरी है. महिला की उम्र 35 साल से अधिक है. इसके साथ ही बीते 6 माह से गर्भधारण नहीं हो पा रहा है, तो ऐसी स्थिति में चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिए. वर्तमान में बांझपन से 20 फीसद लोग प्रभावित हैं. इसके पीछे कई कारण हैं. खासतौर पर इसके लिए 40 फीसद महिलाएं जिम्मेदार होती हैं, जिसे फीमेल इनफर्टिलिटी कहा जाता है. इसी तरह 40 फीसद पुरुष भी जिम्मेदार माने जाते हैं, जिसे मेल इनफर्टिलिटी कहते हैं. ऐसी स्थिति से बांझपन देखने को मिलती है. बचे 20 फीसद महिला और पुरुष में कुछ-कुछ कमियां होती हैं, जिसकी वजह से भी दंपति नि:संतान होते हैं. ऐसी स्थिति में पति और पत्नी दोनों के ही टेस्ट करवाने जरूरी होते हैं. कई बार सामान्य तौर पर ऐसा भी देखा जाता है कि ऐसा टेस्ट करवाने से पुरुष बचना चाहते हैं. साथ ही पूरा दोष महिलाओं पर थोप देते हैं."
चिकित्सक से ले परामर्श: स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना की मानें तो बांझपन के पीछे कई कारण होते हैं, जिसमें महावारी में अनियमितता. अंडे का ना बन पाना या फिर गर्भाशय में किसी तरह की कोई परेशानी होने के साथ ही लाइनिंग सही नहीं होना या पीआईडी होना. वर्तमान समय में गर्भधारण करने की उम्र भी बढ़ती जा रही है. ऐसी स्थिति में अंडों का रिजर्व न हो पाना भी उन कारणों में से एक हैं. ऐसी स्थिति में पति और पत्नी को डॉक्टर से परामर्श जरूरी है. काउंसलिंग के बाद दोनों की अलग-अलग टेस्ट डॉक्टर करवाते हैं. डॉक्टर ऐसी स्थिति में अंडा बनने की दवाई देने के साथ ही सोनोग्राफी के माध्यम से परीक्षण करते हैं. समय पर इंजेक्शन देकर फिजिकल रिलेशन बनाने की सलाह देते हैं, ताकि कंसीव करने में परेशानी न हो.