अजमेर.देश-दुनिया में कोलेस्ट्रॉल के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से लोगों को कई तरह की दिक्कतें आती हैं. वहीं, इसके उलट एक स्वस्थ इंसान के शरीर में उचित मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का होना भी बेहद जरूरी है. दरअसल, कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं. इनमें एक अच्छा और दूसरा बुरा होता है. यानी स्वस्थ रहने के लिए शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का होना बेहद जरूरी है, जबकि बुरा कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक समेत कई तरह की घातक बीमारियों का कारण बनता है. वहीं, कोलेस्ट्रॉल को आयुर्वेद में रक्त में वसा कहते हैं.
अजमेर संभाग के सबसे बड़े जेएलएन अस्पताल के आयुर्वेद विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बीएल मिश्रा ने बताया कि आयुर्वेद में बैड कोलेस्ट्रोल को नियंत्रण करने के कारगर उपचार है. वहीं, अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बनाए रखने के लिए भी फायदेमंद उपाय है. साथ ही घरेलू नुस्खों के जरिए भी कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित किया जा सकता है. खास बात यह कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में कोई साइड इफेक्ट नहीं है.
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इन तत्वों से बना है मानव शरीर :डॉ. बीएल मिश्रा ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार इंसान का शरीर पंचमहाभूत तत्वों से बना हुआ है. मानव शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बेहद जरूरी है. इससे व्यक्ति स्वस्थ रहता है. इनके असंतुलित होने पर मानव शरीर में कई तरह की बीमारियां जन्म लेती है. डॉ. मिश्रा ने बताया कि मानव शरीर को कफ (चिकनाई) से मजबूती मिलती है. वहीं, रंजक पित्त से रक्त का निर्माण होता है. वात से रक्त प्रवाह को गति मिलती है. उन्होंने बताया कि कफ के रुकक्षण, तीक्ष्ण और अति स्निग्ध (चिकनाई ) युक्त होने पर यह शरीर के लिए नुकसानदायक होता है. यानी यह चिकनी धमनियों में जमा होने लगती है, जो ब्लॉकेज और हार्ट अटैक का कारण बन जाती है.
कोलेस्ट्रॉल के कारण :डॉ. मिश्रा ने बताया कि अपाच्य भोजन आमदोष को बनाता है. इस कारण यकृत और रक्त वाहिनियों में स्निग्ध (चिकनाई) युक्त पदार्थ जमा होने लगता है. उसको मेडिकल की भाषा में कोलेस्ट्रॉल कहते हैं. उन्होंने बताया कि कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं, जिनको मेडिकल की भाषा में LDL ( लो डेंसिटी लियो प्रोटीन) और HDL ( हाई डेंसिटी लियो प्रोटीन ) कहते हैं. LDL को बुरा कोलेस्ट्रॉल कहते हैं. यह खून के साथ मिलकर धमनियों में जमा हो जाता है, जबकि HDL कोलेस्ट्रॉल को अच्छा माना जाता है और यह खून में जमा होने वाले LDL यानी बुरे कोलेस्ट्रॉल को हटाता है. आयुर्वेद के मुताबिक वात और कफ के प्रकोप से रक्त वाहिनियों में अपशिष्ट चिकना पदार्थ जमा हो जाता है, जो घातक बीमारी का कारण बनता है. रक्त वाहिनियों को चिकनाई की भी आवश्यकता होती है, ताकि रक्त प्रवाह सुगमता से संचालित हो सके. इसके अभाव में नसे सिकुड़ने लगती है और हृदय अपना काम सुचारू रूप से नहीं कर पता है.
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