रांची: झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही महागठबंधन की सरकार अपने करीब 05 वर्षों के कार्यकाल में जनकल्याण की कई योजनाएं शुरू करने का दावा करती रही है. जिस मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को झारखंड मुक्ति मोर्चा विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर बता रहा था. उसके जवाब में भाजपा ने जब "गोगो दीदी योजना" को पंच प्रण में शामिल किया. इसका फार्म भरने के लिए आधी आबादी में दिख रहा उत्साह के चलते झारखंड मुक्ति मोर्चा को हर साल 30 हजार रुपये के वादे वाली जेएमएम सम्मान योजना लाने के लिए सोचने को मजबूर होना पड़ा.
गोगो दीदी योजना को भ्रम बता रहा झामुमो, अब उससे अधिक की राशि वाली जेएमएम सम्मान योजना शुरू करने की घोषणा का परमिशन मांगने निर्वाचन आयोग तक जाना पड़ गया. अब सवाल यह उठ रहा है क्या "गोगो दीदी योजना" से भयभीत हो गया है झारखंड मुक्ति मोर्चा?
एक नजर हेमंत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं
2019 में भाजपा को सत्ता से बाहर कर राज्य में गठबंधन की सरकार ने लाभुकों को तीन कमरों वाला घर देने की "अबुआ आवास योजना", 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी राज्य वासियों के लिए सर्वजन पेंशन योजना, 15 लाख रुपये तक की राशि उच्च शिक्षा के लिए 04% ब्याज पर देने की योजना "गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना" 200000 रुपये तक की कृषि ऋण माफी योजना, ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने के साथ साथ अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और माइनॉरिटी के मेधावी विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने की योजना के साथ साथ 18 वर्ष से 50 वर्ष तक की महिलाओं को हर महीने 01 हजार हर महीने देने की योजना "मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना" सहित कई ऐसी योजनाएं शुरू की है.
इन योजनाओं का लाभ सत्ताधारी दलों के नेताओं को मिलने की उम्मीद सत्ताधारी दल लगाए बैठे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी की गोगो दीदी योजना को लेकर आधी आबादी में आकर्षण ऐसा देखा गया कि झामुमो को अपने दल के नाम पर जेएमएम सम्मान योजना के लिए सोचने को मजबूर होना पड़ा है.
झामुमो कर रहा भाजपा की नकल- सीपी सिंह