नई दिल्ली: हर साल एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मई दिवस, कामगार दिवस, श्रम दिवस और श्रमिक दिवस जैसे नामों से भी जाना जाता है. दुनियाभर में इस दिन को मनाने के पीछे एक बेहद खास उद्देश्य है. देश के अंदर काफी संख्या में मजदूर रहते हैं. राजधानी दिल्ली में विभिन्न राज्यों से लोग मजदूरी के लिए आते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत ने दिल्ली के कोटला मुबारकपुर लेबर चौक पर दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूरों से बातचीत की और उनके हालात के बारे में जाना.
पश्चिम बंगाल के रहने वाले राजीव मंडल ने बताया कि पिछले चार-पांच सालों से वह दिल्ली में रहकर मजदूरी का काम करते हैं. वह एक राज मिस्त्री है. वह अपने परिवार के साथ रहते हैं. उनका कहना है कि इस समय काम काफी मंदा है. वह हर रोज लेबर चौक पर आते हैं, लेकिन कभी-कभार ही काम मिलता है. जब कभी काम मिलता है तो दिहाड़ी मजदूरी 500 से 700 मिलते हैं. कभी कभार 800 मिलते हैं.
राजीव मंडल ने बताया कि कोरोना के समय वह घर चले गए थे. काफी नुकसान हुआ था. कुछ साथी तो वापस दिल्ली आ गए, लेकिन कुछ साथी ऐसे हैं जो गांव में ही रह गए. पश्चिम बंगाल में 500 मजदूरी मिलती है. दिल्ली में 700 से 800 मिल जाती है इसलिए दिल्ली आए हैं. इस समय काम धंधा काफी कम मिलता है. उन्होंने बताया कि बंगाल में राशन पानी तो मुफ्त में मिल जाता है. लेकिन वहां पर पैसा कम मिलता है.