नई दिल्ली:सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्त पैदल यात्रा कर बांस की कांवड़ पर दोनों ओर टोकरियां बांध कर उसमे गंगा जल लाते हैं. फिर शिवरात्रि के दिन उसी जल से महादेव का अभिषेक करते हैं. मान्यता है कि यात्रा करने से व्यक्ति के जीवन में सरलता आती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. कांवड़ यात्रा करने से व्यक्ति जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और शिवधाम को प्राप्त होता है. आइये जानते हैं कांवड़ यात्री कहां-कहां से गंगाजल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं? सावन में गंगा जल का क्या महत्व हैं?
पुरानी दिल्ली के प्राचीन वनखंडी मंदिर के पुजारी लवपुरी ने बताया कि सावन में शिव भक्त कांवड़ यात्रा कर गंगाजल लाते हैं और भगवान शिव पर चढ़ाते हैं. कांवड़ यात्रा को श्रवण कुमार से भी जोड़ा जाता है. श्रवण कुमार ने अपने माता पिता को कांवड़ में बिठाकर चार धामों के दर्शन करवाए थे. सावन में भक्त उसकी तरह अपने कंधे पर कांवड़ रख गंगा जल लाते हैं. प्रति वर्ष दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से भक्त हरिद्वार से गंगाजल लाते हैं। हरिद्वार के अलावा भगवान भोलेनाथ के भक्त गंगोत्री और मां गंगा के घाटों से भी जल लाकर चढ़ते हैं.
सावन में गंगा जल का महत्व:पुजारी लवपुरी ने बताया कि सावन में गंगा जल का विशेष महत्व है. भोलेनाथ को गंगा जल अति प्रिय हैं. मां गंगा को त्रिपद गमनी कहा जाता है. यह भगवान विष्णु के चरणों से निकल कर ब्रह्मा के कमंडल से निकल कर शिव की जटाओं के माध्यम से धरती पर प्रकट हुई हैं. इसलिए गंगा जल को सब से पवित्र जल कहा जाता है.