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राजभवन और शिक्षा विभाग का विवाद गहराया! राज्यपाल की बैठक में शामिल नहीं हुए केके पाठक - Rajendra Vishwanath Arlekar

बिहार में राज भवन और शिक्षा विभाग के बीच विवाद समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है. ना तो शिक्षा विभाग की बैठक में कुलपति जा रहे हैं और न ही राज्यपाल की ओर से कुलपतियों की बैठक में केके पाठक शामिल हो रहे हैं. 20 मार्च को राज्यपाल ने कुलपतियों की बैठक बुलाई थी लेकिन बैठक में आमंत्रण दिए जाने के बाद भी शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव शामिल नहीं हुए. हालांकि विभाग के सचिव बैद्यनाथ प्रसाद जरूर आए.

Rajendra Vishwanath Arlekar
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 21, 2024, 9:32 AM IST

पटना:राज्यपाल-सह-कुलाधिपति राजेद्र विश्वनाथ अर्लेकरने बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और शिक्षा विभाग के पदाधिकारी के साथ राजभवन में बैठक की. जहां उन्होंने शिक्षकों की रिक्तियों को भरने और शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियाें को उनकी सेवानिवृत्ति के दिन ही सेवान्त लाभ का भुगतान करने का निर्देश दिया है. उन्होंने बैंक खातों का संचालन, अंकेक्षण आपत्ति का निराकरण और यूआईएमएस की भी समीक्षा की. साथ ही महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए. हालांकि इस बैठक में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक शामिल नहीं हुए.

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शिक्षकों के अनेक पद रिक्त:इस बैठक में कुलपतियों ने बताया कि शिक्षकों के अनेक पद रिक्त हैं, जिससे शिक्षण कार्य में कठिनाई हो रही है. नई शिक्षा नीति, 2020 के तहत पाठ्यक्रम में समावेश किए गए नए विषयों के शिक्षकों को भी नियुक्त किया जाना आवश्यक है. राशि के अभाव में शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को वेतनादि के भुगतान में भी परेशानी हो रही है. उन पर प्राथमिकी दर्ज की जा रही है और विश्वविद्यालय के खाता संचालन पर रोक लगा दी गई है. राजभवन के बिना संज्ञान में लाए विश्वविद्यालयों में वर्ष में अनेक बार अंकेक्षण कराए जा रहे हैं. इन सबके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय के कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं, जो विद्यार्थियों के हित में नहीं है.

राज्यपाल ने दिया समाधान का भरोसा: इस बैठक में कुलपतियों द्वारा विश्वविद्यालय सूचना प्रबंधन प्रणाली से जुड़ी समस्याओं से अवगत कराने पर राज्यपाल ने इनके शीघ्र समाधान का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि इसका अनुश्रवण राजभवन के स्तर पर किया जाएगा. सभी कुलपतियों को निर्देश दिया कि शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मचारियाें को उनकी सेवानिवृत्ति के दिन ही सेवान्त लाभ का भुगतान कर दिया जाए. छात्र-छात्राओं का नामांकन उनके निकट के ही महाविद्यालयों में होना चाहिए, ताकि उन्हें सहूलियत हो.

राजभवन और शिक्षा विभाग में विवाद: इससे पहले शिक्षा विभाग की ओर से जितनी भी बैठक बुलाई गई, किसी में कुलपति शामिल नहीं हुए क्योंकि राजभवन की ओर से बैठक में शामिल नहीं होने का उन्हें निर्देश दिया गया था. इसके बाद शिक्षा विभाग की तरफ से वेतन रोकने का आदेश भी दिया गया. 15 मार्च को भी केके पाठक ने सभी कुलपतियों की बैठक बुलाई थी लेकिन बैठक में कुलपति नहीं पहुंचे. अब देखना है केके पाठक और राजभवन के विवाद को सरकार किस तरह से समाधान करती है.

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