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रेल पटरी के पास लाइनेश्वर महादेव, रोज गुजरती है एक्सप्रेस ट्रेन, फिर भी कम नहीं हो रही भीड़ - GAYA TEMPLE

गया में रेलवे लाइन किनारे भोलेनाथ का अद्भुत शिवलिंग है. इन्हें लाइनेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्धी है. यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

गया में रेल किनारे महादेव का मंदिर
गया में रेल किनारे महादेव का मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 24, 2025, 9:59 PM IST

गया: बिहार के गया में रेलवे लाइन के किनारे भव्य व चमत्कारिक शिवलिंग है. यह शिवलिंग आपरूपी स्थापित है. शिव भक्तों की लाइनेश्वर महादेव अटूट आस्था का केंद्र है. आस्था है कि यहां भगवान भोलेनाथ के दरबार में जो भक्त आते हैं वह खाली हाथ नहीं लौटते. भक्तों पर भगवान की कृपा बरसती है. यहां श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर शिव भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

आपरूपी प्रकट हुआ था शिवलिंग: यह शिवलिंग सदियों पुराना है. यहां कई पुश्त से लोग शिवलिंग के दर्शन कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि पहले शिवलिंग रेलवे लाइन पर था. इस शिवलिंग को उखाड़ने का प्रयास किया गया किंतु असफल रहे. लोगों ने काफी मन्नत की. भगवान भोलेनाथ को मनाया. पूजा अर्चना की और मंदिर बनाने की कसम खाई, तब जाकर शिवलिंग रेलवे लाइन से खिसकने लगी. धीरे-धीरे खिसकते-खिसकते यह शिवलिंग रेलवे लाइन के ठीक बगल में आ गई.

गया में लाइनेश्वर महादेव (ETV Bharat)

लाइनेश्वर महादेव 3 मीटर के करीब खिसके: बताया जाता है कि अब रेलवे लाइन और शिवलिंग के बीच 3 मीटर का फासला है. पहले लोग जहां परिक्रमा करते थे तो उनकी परिक्रमा इसलिए पूरी नहीं होती थी, क्योंकि घूमने के लिए जगह नहीं था. लाइनेश्वर महादेव 3 मीटर के करीब खिसके और अब भक्तों के लिए काफी जगह है. भक्त बैठ भी सकते हैं और उनकी परिक्रमा भी कर सकते हैं.

"पहले यह शिवलिंग रेलवे लाइन पर था. ये लाइनेश्वर महादेव के नाम से जाने जाते है. महादेव सब पर कृपा करते हैं. पहले यह शिवलिंग रेलवे लाइन पर था धीरे-धीरे खिसक खिसक कर लाइन से नीचे की ओर आया और अब यह स्थिर हुआ है कई मीटर यह शिवलिंग सैकड़ों सालों में खिसका है और अब रेलवे लाइन से गैपिंग अच्छी खासी हो गई है." - चुनचुन कुमार, मंदिर सेवक

लाइनेश्वर महादेव मंदिर
लाइनेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat)
गया रेलवे लाइन का दोहरीकरण: भगवान का अद्भुत चमत्कार यह है कि जब गया रेलवे लाइन का दोहरीकरण का कार्य चल रहा था तो उत्तर दिशा में गया क्यूल रेलवे लाइन का दोहरीकरण पूरी तरह से उत्तर दिशा में हुआ. गया के वजीरगंज में पुरा स्टेशन के समीप रेलवे स्टेशन के समीप रहे भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को देखते हुए रेलवे लाइन का दोहरीकरण यहां पर दक्षिण दिशा में तब्दील हुआ.
रेल लाइन के किनारे है महादेव का मंदिर
रेल लाइन के किनारे है महादेव का मंदिर (ETV Bharat)

"लाइनेश्वर महादेव की कृपा अपरंपार है. उनकी महिमा इतनी है कि यहां से जो मांगो वह मिल जाता है. पहले हमारे पास कुछ नहीं था. ससुर खर्च देते थे तो घर का गुजारा होता था. किंतु जब से यहां शिवलिंग के दर्शन किए. उसके बाद से सारी स्थिति सामान्य हो गई. आज मेरा बेटा इंजीनियर है, वहीं मेरी बेटी वैज्ञानिक है." -सीमा कुमारी, भक्त

गया में लाइनेश्वर महादेव में पूजा करतीं महिलाएं
गया में लाइनेश्वर महादेव में पूजा करतीं महिलाएं (ETV Bharat)

रेलवे ने भू वैज्ञानिकों को बुलाया था: वहीं अनुपम कुमार श्रवण बताते हैं कि लाइनेश्वर महादेव अद्भुत शिवलिंग के रूप में विराजमान है यहां के कई चमत्कार किस्से सुने-कहे जाते हैं. वह बताते हैं कि पहले रेलवे के द्वारा जब इसे उखाड़ने का प्रयास किया गया, तो शिवलिंग उखड़ नहीं पाया था. इसके बाद भू वैज्ञानिक को लाया गया, जिन्होंने अपनी मशीन से चेक किया तो यहां पर पानी ही पानी निकला. इसके बाद इस शिवलिंग को हटाने का विचार त्याग दिया गया. यहां पर समुद्र का कनेक्शन बताया जाता है.

"पहले हमारी कोई संतान नहीं थी, लेकिन भगवान भोलेनाथ की पूजा शुरू की तो सब कुछ हमें मिल गया. हमें संतान की प्राप्ति हो गई. हम लोग इसलिए यहां रोज आते हैं, क्योंकि भगवान की हम पर कृपा बनी हुई है. भगवान हमारी मन्नतें पूरी करते हैं." -पार्वती देवी, भक्त

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आपरूपी प्रकट हुआ था शिवलिंग: यह शिवलिंग सदियों पुराना है. यहां कई पुश्त से लोग शिवलिंग के दर्शन कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि पहले शिवलिंग रेलवे लाइन पर था. इस शिवलिंग को उखाड़ने का प्रयास किया गया किंतु असफल रहे. लोगों ने काफी मन्नत की. भगवान भोलेनाथ को मनाया. पूजा अर्चना की और मंदिर बनाने की कसम खाई, तब जाकर शिवलिंग रेलवे लाइन से खिसकने लगी. धीरे-धीरे खिसकते-खिसकते यह शिवलिंग रेलवे लाइन के ठीक बगल में आ गई.

गया में लाइनेश्वर महादेव (ETV Bharat)

लाइनेश्वर महादेव 3 मीटर के करीब खिसके: बताया जाता है कि अब रेलवे लाइन और शिवलिंग के बीच 3 मीटर का फासला है. पहले लोग जहां परिक्रमा करते थे तो उनकी परिक्रमा इसलिए पूरी नहीं होती थी, क्योंकि घूमने के लिए जगह नहीं था. लाइनेश्वर महादेव 3 मीटर के करीब खिसके और अब भक्तों के लिए काफी जगह है. भक्त बैठ भी सकते हैं और उनकी परिक्रमा भी कर सकते हैं.

"पहले यह शिवलिंग रेलवे लाइन पर था. ये लाइनेश्वर महादेव के नाम से जाने जाते है. महादेव सब पर कृपा करते हैं. पहले यह शिवलिंग रेलवे लाइन पर था धीरे-धीरे खिसक खिसक कर लाइन से नीचे की ओर आया और अब यह स्थिर हुआ है कई मीटर यह शिवलिंग सैकड़ों सालों में खिसका है और अब रेलवे लाइन से गैपिंग अच्छी खासी हो गई है." - चुनचुन कुमार, मंदिर सेवक

लाइनेश्वर महादेव मंदिर
लाइनेश्वर महादेव मंदिर (ETV Bharat)
गया रेलवे लाइन का दोहरीकरण: भगवान का अद्भुत चमत्कार यह है कि जब गया रेलवे लाइन का दोहरीकरण का कार्य चल रहा था तो उत्तर दिशा में गया क्यूल रेलवे लाइन का दोहरीकरण पूरी तरह से उत्तर दिशा में हुआ. गया के वजीरगंज में पुरा स्टेशन के समीप रेलवे स्टेशन के समीप रहे भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग को देखते हुए रेलवे लाइन का दोहरीकरण यहां पर दक्षिण दिशा में तब्दील हुआ.
रेल लाइन के किनारे है महादेव का मंदिर
रेल लाइन के किनारे है महादेव का मंदिर (ETV Bharat)

"लाइनेश्वर महादेव की कृपा अपरंपार है. उनकी महिमा इतनी है कि यहां से जो मांगो वह मिल जाता है. पहले हमारे पास कुछ नहीं था. ससुर खर्च देते थे तो घर का गुजारा होता था. किंतु जब से यहां शिवलिंग के दर्शन किए. उसके बाद से सारी स्थिति सामान्य हो गई. आज मेरा बेटा इंजीनियर है, वहीं मेरी बेटी वैज्ञानिक है." -सीमा कुमारी, भक्त

गया में लाइनेश्वर महादेव में पूजा करतीं महिलाएं
गया में लाइनेश्वर महादेव में पूजा करतीं महिलाएं (ETV Bharat)

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"पहले हमारी कोई संतान नहीं थी, लेकिन भगवान भोलेनाथ की पूजा शुरू की तो सब कुछ हमें मिल गया. हमें संतान की प्राप्ति हो गई. हम लोग इसलिए यहां रोज आते हैं, क्योंकि भगवान की हम पर कृपा बनी हुई है. भगवान हमारी मन्नतें पूरी करते हैं." -पार्वती देवी, भक्त

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