नई दिल्ली:राजधानी में आज भी पतंग चढ़ाने के शौकीन लोग हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण है यहां का लाल कुआं पतंग बाजार. यहां से न सिर्फ दिल्ली, बल्कि अन्य जगहों पर भी पतंग की सप्लाई होती है. स्वतंत्रता दिवस से पहले हर साल की तरह इस बार भी बाजार में रौनक बढ़ गई है. 100 साल से भी ज्यादा पुराना यह बाजार, इन दिनों पतंगों और सूती डोर से सज चुका है.
लाल कुआं पतंग बाजार के प्रधान सचिन गुप्ता ने बताया कि उनकी चौथी पीढ़ी अब दुकान संभाल रही है. दिल्ली वालों के अंदर अब पतंगबाजी का शौक कम होता नजर आ रहा है. एक जमाना था, जब 4-5 महीने पहले से पतंग की थोक बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन कोरोना काल के बाद मात्र डेढ़ महीने ही पतंग की सेल होती है. यहां से देशभर में पतंगों की सप्लाई होती है.
उन्होंने बताया कि इस बार मार्केट में कई नई डिजाइन की पतंग आई हैं, जिसमें तिरंगा से लेकर कार्टून कैरेक्टर वाली पतंग शामिल है. सबसे ज्यादा बुलडोजर बाबा वाली पतंग डिमांड में है. इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फोटो के संग बुलडोजर छपा हुआ है. पिछले वर्ष भी मोदी और योगी की फोटो पतंग पर छापी गई थी, लेकिन इस बार बुलडोजर की फोटो ने इसकी डिमांड बढ़ा दी है.
कागज की पतंग की मांग ज्यादा:सचिन ने बताया कि बाजार में दो तरह की पतंगे आती है, पॉलिथीन और कागज से बनी पतंग. जिन लोगों के घर में छोटे बच्चे होते हैं वह पॉलीथीन की पतंग खरीदना पसंद करते हैं, क्योंकि वह जल्दी फटती नहीं हैं. वहीं, आखिरी दिनों में कागज की पतंग की मांग बढ़ जाती है. कागज की पतंग हल्की होती है, इसलिए वह ऊंची उड़ती है.
4 फुट की पतंग:हर वर्ष मांग के मुताबिक, पतंगों का रंग, आकार और साइज बदल जाता है. सचिन ने बताया कि इस बार बाजार में सबसे बड़ी पतंग की लंबाई 4 फुट है. सबसे छोटी पतंगा हथेली से भी छोटी होती है. छोटी पतंग का इस्तेमाल सजावट के लिए किया जाता है, जिसे 15 अगस्त के कार्यक्रम स्थलों को सजाने के काम में भी लाया जाता है. इसके अलावा बड़ी पतंगों को लोग शौकिया तौर पर उड़ाना पसंद करते हैं. इसका वजन सामान्य पतंग से ज्यादा होता है, इसके इसे उड़ा थोड़ा मुश्किल होता है.