खूंटी: लंबे समय से प्रतीक्षित खूंटी-रांची फोरलेन और बाईपास सड़क मुद्दे पर हो रही राजनीति उस वक्त बंद हो गई थी, जब जिला प्रशासन ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश निकाला. आदेश निकलते ही 17 मौजा के लिए ग्राम सभाएं शुरू होने लगी और लोग स्वेच्छा से जमीन देने के लिए आगे आने लगे. अचानक बगड़ू और हूटार इलाके से लोगों ने जमीन नहीं देने और मुवावजा बढ़ाने की मांग शुरू कर दी है. वर्तमान में भूमि अधिग्रहण के लिए जिला प्रशासन द्वारा ग्रामसभा की की जा रही है. दूसरी तरफ विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं.
आदिवासी समुदाय का नेतृत्व करने वाले दामू मुंडा, सनिका संगा, चोन्हस खालखो, बैजनाथ मुंडा, मागो मुंडा समेत अन्य नेताओं ने 31 जनवरी को बाईपास और भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर खूंटी कचहरी मैदान में एक जनसभा बुलाई है. जिसमें कहा गया है कि डुंगरा, कालामाटी, फुदी, जियरप्पा, कानाडीह, हुटार, बिरहू, जमुआदाग, एरेंडा, बगडू, सोसोटोली, बेलवादाग, कुंजला, ईडे, पोकला और कुंदी बरटोली गांवों से होकर सड़क गुजरनी है. इसके लिए भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है. गांव मोहल्लों में पंपलेट बांट कर लोगों से आम सभा में आने की अपील की जा रही है. पंपलेट में कहा गया है कि जनसभा के बाद सरकार को स्मार पत्र दिया जाएगा और झारखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जाएगी.
वहीं दूसरी तरफ कारगिल युद्ध में शामिल पूर्व सैनिक व खूंटी सदर प्रखंड के पूर्व उपप्रमुख बगडू गांव निवासी जितेंद्र कश्यप ने बताया कि अगर बाईपास सड़क का निर्माण हुआ, तो उनकी पूरी साढ़े छह एकड़ जमीन चली जाएगी. इसी जमीन पर जितेंद्र कश्यप का घर भी है. उन्होंने कहा कि अगर सड़क बनी, तो उनका पूरा परिवार बेघर हो जाएगा.