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शौका समुदाय ने बहन बेटियों को दिया खिचड़ी भोज, जोहार घाटी की संस्कृति से महका हल्द्वानी - khichdi feast

Shauka community khichdi feast in Haldwani उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत बहुत समृद्ध है. शहरों की भाग दौड़ भरी जिंदगी के बीच भी यहां के लोग अपने तीज-त्यौहारों और परंपराओं को सीने से लगाए हुए हैं. हल्द्वानी में रह रहे पिथौरागढ़ जोहार इलाके के शौका समुदाय ने बहन बेटियों को आमंत्रित कर खिचड़ी भोज कार्यक्रम आयोजित किया. उन्हें उपहार भेंट किए. अपने मायकों वालों से मिलकर बहन बेटियां खुश नजर आईं.

Shauka community khichdi feast
हल्द्वानी खिचड़ी महोत्सव

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 29, 2024, 10:29 AM IST

Updated : Jan 29, 2024, 5:31 PM IST

शौका समुदाय ने बहन बेटियों को दिया खिचड़ी भोज

हल्द्वानी: उत्तराखंड में माघ के महीने में खिचड़ी भोज की पुरानी परंपरा है. पिथौरागढ़ जिले के सीमांत इलाके मुनस्यारी के जोहार घाटी के शौका समुदाय ध्याणी मिलन कार्यक्रम का आयोजन करता आ रहा है. उनकी यह परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है. इस कार्यक्रम में सीमांत इलाके के लोग सभी विवाहित बहन बेटियों को अपने घर यानी उनके मायके आमंत्रित करते हैं. उन्हें खिचड़ी भोज देते हैं. अब यह आयोजन व्यक्तिगत ना होकर सामूहिक होने लगा है.

शौका समुदाय ने आयोजित किया खिचड़ी भोज

शौका समुदाय का खिचड़ी भोज: हल्द्वानी में प्रवास कर रहे जोहार घाटी के शौका से जुड़े अनेक समुदाय के लोग अपनी संस्कृति को बचाये रखने के लिए खिचड़ी भोज का आयोजन करते हैं. असल में ध्याणी का मतलब होता है विवाहित बेटी जो मायके आती है. इसी परंपरा को कायम रखते हुए हल्द्वानी में जोहर शौका समुदाय के लोगों ने खिचड़ी भोज का आयोजन किया. इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. बेटियों को खिचड़ी खिलाई गई. उपहार दिए भी दिए गए. स्थानीय सांस्कृतिक धुनों पर लोग नाचे. लोगों के मुताबिक यह एक अच्छा मौका है जब अपनों से मिलते हैं. ऐसे आयोजनों से एक संदेश आने वाली पीढ़ी को जाता है कि अपनी संस्कृति को जानें और आगे बढ़ाने का काम करें. पहले से यह आयोजन हर घर में होता था. जैसे जैसे जागरूकता आयी तो पूरा समुदाय एकजुट होकर अपनी इस परंपरा को आगे बढ़ाने लगा.

खिचड़ी भोज में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेतीं शौका समुदाय की बहन बेटियां

बहन बेटियों ने खिचड़ी भोज में लिया भाग: गौरतलब यह है कि ध्याणी कार्यक्रम का आयोजन हल्द्वानी में रह रहे प्रवासी पिछले 15 सालों से कर रहे हैं. इसमें हर बार सैकड़ों लोग आते रहे हैं. यह जोहार घाटी की संस्कृति को बचाने और आपस में मेलजोल बनाये रखने का बेमिसाल तरीका भी है. एक साथ खिचड़ी खाना, नाच गाने का जो मजा अपनी बहन बेटियों के साथ है वो जिंदगी में और कहां मिलेगा. लिहाज़ा सदियों से चली आ रही परम्परा को थोड़ा नए रूप में संजोते हुए आगे ले जाने की कोशिश है. आने वाली पीढ़ी अपनी इस संस्कृति को समझे और वो भी इसका निर्वहन करे.

संस्कृति को जीवित रखने की कवायद: त्यौहारों का आना जाना तो लगा रहता है लेकिन उन त्यौहारों को हम किस तरह यादगार बनाकर अपनी संस्कृति को संजो कर रखते हैं ये खिचड़ी भोज यही सिखाता है. आयोजक प्रेम सिंह मार्तोलिया ने कहा कि ध्याणी उसका एक उदाहरण है. ये ना सिर्फ खिचड़ी भोज है, बल्कि आपसी मेलजोल और खास कर उन बहन बेटियों के लिए यादगार है जो अपने मायके केवल साल में 1 बार इस मौके पर आ पाती हैं.
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Last Updated : Jan 29, 2024, 5:31 PM IST

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