नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है. हर साल लाखों सैलानी यहां की झीलों और वादियों का दीदार करने पहुंचते हैं. वहीं नैनीताल को इस मुकाम में पहुंचाने में स्थानीय लोगों का अहम योगदान रहा है. जिन्होंने इसे सुंदर बनाने के हमेशा आगे बढ़कर काम किया है. उन्हीं में पहला नाम पूर्व अध्यक्ष जशौद सिंह बिष्ट का आता है. जिनका नैनीताल के विकास में अविस्मरणीय योगदान रहा है.
विकास में अविस्मरणीय योगदान: सरोवर नगरी नैनीताल अपने सख्त कानून के लिए ब्रिटिश काल से जानी जाती है. नैनीताल नगर पालिका में ब्रिटिश शासकों ने काफी सख्त कानून बनाए थे, जिससे नैनीताल को हमेशा प्राकृतिक रूप से सुन्दर बनाए रखा जा सके. नैनीताल में घरों और होटलों के सामने खुले स्थान पर कपड़े सुखाने तक की मनाही थी. कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. अजय रावत बताते हैं कि नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष जशौद सिंह बिष्ट का नैनीताल के विकास में अविस्मरणीय योगदान रहा. शहर में कानून व्यवस्था बनाने से लेकर शहर के विकास कार्यों के लिए जशौद सिंह बिष्ट को आज भी याद किया जाता है. उनके कार्य प्रणाली को आज भी स्थानीय लोग आधार मानते हैं.
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पर्यावरण संरक्षण को दिया बढ़ावा: अजय रावत ने बताया कि एक बार अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एक बार बांज की टहनी काटने पर अपनी पत्नी पर भी जुर्माना लगा दिया था. जशौद सिंह बिष्ट अपने विकास कार्य और शहर के लिए किए गए कार्यों के चलते लगातार दो बार नैनीताल नगर पालिका के अध्यक्ष रहे. उनके कार्य राष्ट्रीय स्तर तक इतने चर्चित हुए थे कि उनको उस दौर में राज्यसभा सदस्य के रूप में नामित किया गया था.
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पेड़ की टहनी काटने पर पत्नी पर लगा दिया था जुर्माना: डॉ. अजय रावत बताते हैं नगर पालिका में 1941 से 1953 तक नैनीताल के पालिकाध्यक्ष रहे जशौद सिंह बिष्ट के रोचक किस्से और उनके बनाए बायलाज पूरे देश में नजीर रहे हैं. एक बार उनके स्नोव्यू के नीचे असेंबली काटेज स्थित घर के पास किसी ने बांज के पेड़ की बड़ी टहनी काट दी. जब उन्होंने अपने नौकर से पूछा तो उसने बताया कि इस टहनी से घर में धूप नहीं आ रही थी और मैम साहब ने यह टहनी कटवाई है. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए पत्नी को फटकार लगाते हुए उन पर जुर्माना लगा दिया.
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कपड़े सुखाने पर प्रतिबंध: डॉ. अजय रावत ने बताया कि जशौद सिंह बिष्ट ने नैनीताल के पर्यटन और शहर के नाम को अंतरराष्ट्रीय पटल पर लाए जाने के लिए नैनीताल में कई तरह के आयोजनों को शुरू करवाया. जिसमें देश का पहला वन महोत्सव भी शामिल है. कार्यक्रम में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री केएम मुंशी आए, जिन्होंने राजभवन में बांज का पौध रोपित कर इस महोत्सव का शुभारंभ किया था. जशौद सिंह बिष्ट ने होटलों और घरों के आगे कपड़े सुखाने पर प्रतिबंध लगाया था.
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शहर के विकास के लिए हमेशा तत्पर: नैनीताल में शरदोत्सव की शुरुआत की, देश के पहले आर्य समाज मंदिर का कचहरी रोड में आवंटन कराया. 15 अगस्त को नैनी झील में लेक क्रासिंग प्रतियोगिता की शुरुआत कराई. जो करीब दो दशक तक चलती रही. इसके अलावा उन्होंने नैनीताल के स्कूली बच्चों के लिए दो अक्टूबर को शहर में खेल प्रतियोगिता, बालिकाओं को खेलों के प्रति रुचि जागृत करने के लिए शहर में महिला हॉकी टूर्नामेंट आयोजित करवाए.
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