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खेजड़ली शहीदी दिवस : JNVU में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में गुरु जम्भेश्वर की शब्द वाणी पर वाचन, 13 को खेजड़ली मेला - Khejadli Martyrdom Day - KHEJADLI MARTYRDOM DAY

Khejadli Martyrdom Day, जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में गुरु जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ ने खेजड़ली शहीदी दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसमें 550 साल पुराने गुरु जंभेश्वर के सिद्धांतों का वाचन हो रहा है.

Khejadli Martyrdom Day
JNVU में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 11, 2024, 4:36 PM IST

JNVU में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (ETV Bharat Jodhpur)

जोधपुर:जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय की गुरु जंभेश्वर पर्यावरण संरक्षण शोधपीठ की ओर से राष्ट्रीय वन शहीदी दिवस और खेजड़ली शहीदी दिवस पर बुधवार से दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई. इस संगोष्ठी में विश्नोई समाज के आराध्य गुरु जंभेश्वर के पर्यावरण को संरक्षित करने के 550 साल पहले के सिद्धांतों पर लिखे गए पत्रों का वाचन हो रहा है.

विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के शोधार्थी चंद्रभान बिश्नोई ने बताया कि उनके शोध का विषय हिंदी कविताओं में पर्यावरण का चित्रण है. जांभो जी शब्द वाणी में पर्यावरण से जुड़े कई सूत्र हैं, जिनकी पालना करने पर हम समाज को इस क्षेत्र के लिए नई दिशा दे सकते हैं. मनुष्य के हर कार्य में पर्यावरण और जीव संरक्षण का संदेश शब्द वाणी में दिया गया है. इसका अध्ययन करने पर व्यक्ति का दृष्टिकोण व्यापक बनता है. संगोष्ठी का उद्घाटन संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, उद्योग एवं वाणिज्य राज्य मंत्री के बिश्नोई सांसद राजेंद्र गहलोत सहित अन्य ने किया.

दे रहे स्वच्छता और पर्यावरण बचाने का संदेश : संगोष्ठी में पर्यावरणविद् कामू राम बिश्नोई ने पूरी एक प्रदर्शनी लगाई है जिसमें स्वच्छता और पर्यावरण को बचाने के लिए संदेश दर्शाए गए हैं. इसके अलावा यहां पर खेजड़ी के लिए प्राण त्यागने वाले 363 वृक्ष शहीदों की जानकारी की प्रदर्शनी भी लगाई गई है.

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13 को होगा खेजड़ली मेला : 363 वृक्ष शहीदों की याद में 13 सितंबर को दशमी के दिन खेजड़ली में मेले का आयोजन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में विश्नोई समाज के लोग शामिल होंगे. इस मेले इस बार कई बड़े आयोजन भी होंगे.

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क्या है खेजड़ली नरसंहार घटना ? :11 सितंबर 1730 में जोधपुर के खेजड़ली गांव में खेजड़ी वृक्ष को बचाने के लिए 363 ग्रामीणों ने अपनी जान दे दी थी. 363 बिश्नोई खेजड़ी के पेड़ों के एक उपवन की शांतिपूर्वक रक्षा करने की कोशिश में मारे गए. दरअसल, मारवाड़ के महाराजा अभय सिंह को अपने नए महल के लिए लकड़ियों की जरूरत थी, तब उन्होंने खेजड़ली गांव में पेड़ों को काटने के लिए सैनिकों को भेजा था, लेकिन अमृता देवी विश्नोई नामक महिला के नेतृत्व में ग्रामीण पेड़ के आगे आकर खड़े हो गए और वृक्षों की कटाई का विरोध करने लगे. तब सैनिकों ने 363 ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया था. यह घटना भाद्रपद शुक्ल दशमी को हुई थी.

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