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खजुराहो डांस फेस्टिवल में अवधी फाग गायन से सजी लोकरंजन समारोह की शाम, गेड़ी व पंथी नृत्य ने समां बांधा - gedi and panthi dance

Khajuraho Dance Festival : खजुराहो डांस फेस्टिवल में नृत्य व गायन की धूम है. फेस्टिवल के तीसरे दिन लोकरंजन समारोह की शाम अवधी फाग गायन से सजी. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के गेड़ी नृत्य ने भी लोगों का मन मोह लिया.

Khajuraho Dance Festival
खजुराहो डांस फेस्टिवल में अवधी फाग गायन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 23, 2024, 10:21 AM IST

खजुराहो डांस फेस्टिवल में अवधी फाग गायन

खजुराहो (छतरपुर)।खजुराहो डांस फेस्टिवल में पारंपरिक कलाओं के राष्ट्रीय समारोह लोकरंजन आयोजन चल रहा है. फेस्टिवल के तीसरे दिन छत्तीसगढ़ के ललित उसेंडी व साथियों द्वारा गेड़ी नृत्य, दिनेश कुमार जांगड़े व सथियों द्वारा पंथी नृत्य, डॉ. नीतू कुमारी नूतन पटना द्वारा अवधी फाग गायन की प्रस्तुति दी गई. समारोह की शुरुआत पंथी नृत्य की प्रस्तुति से की गई. पंथी छत्तीसगढ़ के सतनामी जाति का परम्परागत नृत्य है. किसी तिथि-त्यौहार पर सतनामी जैतखाम की स्थापना करते हैं और उसके आसपास गोल घेरे में नाचते हैं, गाते हैं. पंथी नाच की शुरुआत देवताओं की स्तुति से होती है. पंथी नृत्य गीत में आध्यात्मिक संदेश के साथ मनुष्य जीवन की महत्ता भी होती है.

लोकरंजन में छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य ने लोगों का मन मोहा

पंथी नाच के मुख्य वाद्य मांदर और झांझ होते हैं. पंथी नाच द्रुत गति का नृत्य है. नृत्य का आरंभ विलम्बित होता है, परंतु समापन तीव्रगति के चरम पर होता है. गति और लय का समन्वय नर्तकों के गतिशील हाव-भावों में देखा जा सकता है. जितनी तेजी से गीत और मृदंग की लय तेज होती है उतनी ही पंथी नर्तकों की आंगिक चेष्टाएं तेज होती जाती हैं. गांवो में पुरुष और स्त्रियां अलग-अलग-अलग टोली बनाकर नाचते हैं. महिलाएं सिर पर कलाश रखकर नाचती हैं. मुख्य नर्तक गीतों की कड़ी उठाता है और अन्य नर्तक उसे दोहराते हुए नाचते हैं.

छत्तीसगढ़ के पंथी नृत्य ने लोगों का मन मोहा

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ललित उसेंडी व साथियों ने दी गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति

कार्यक्रम के अगले क्रम में ललित उसेंडी एवं साथियों द्वारा गेड़ी नृत्य की प्रस्तुति दी गई. मुरिया जनजाति के मुख्य पर्व-त्यौहार में नवाखानी, जाड़, जात्रा और सेषा प्रमुख हैं. प्रत्येक व्यक्ति नृत्य गीत में समान रूप से दक्ष होते हैं. ककसार धार्मिक नृत्य गीत है. वर्ष में एक बार ककसार पर्व होता है. इस अवसर पर गाए जाने वाले गीत को ककसार पाटा कहते हैं. यह गांव के धार्मिक स्थल पर होता है. मुरिया लोगों में यह माना जाता है कि लिंगोदेव (शंकर) के पास अठारह वाद्य थे. उन्होंने सभी वाद्य मुरिया लोगों को दे दिये. उसके बाद मुरिया अठारह में से उपलब्ध सभी वाद्यों के साथ ककसार में लिंगोदेव को प्रसन्न करने के लिए गाते-बजाते हैं. डॉ. नीतू कुमारी नूतन द्वारा अवधी फाग गायन की प्रस्तुति दी गई.

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