कोटा: घरों में तोता, सारस या मैना को पालना सामान्य माना जाता है, लेकिन वन्यजीव प्रोटेक्शन एक्ट के तहत यह गैर कानूनी है और इसमें शिकायत होने पर आपको 7 साल तक की सजा भी हो सकती है. क्योंकि तोता, मैना, गिलहरी, लंगूर व स्टार कछुआ सहित कई संरक्षित वन्यजीव को घरों में पारिवारिक सदस्य की तरह पाल लेते हैं. वे लोग जाने-अनजाने में वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट में अवहेलना कर देते हैं. कुछ लोग सांपों को भी अपने साथ रख लेते हैं, यह भी गैर कानूनी है.
कोटा के उपवन संरक्षक वन्यजीव अनुराग भटनागर ने बताया कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 में कई प्रजाति के पक्षियों को पालना प्रतिबंधित किया हुआ है. इनमें भारतीय तोता और मैना भी शामिल हैं. इसके अलावा प्रजाति जिनमें गिलहरी, लंगूर, स्टार कछुआ, सांप और कई अन्य शामिल हैं. इसी तरह मोर, बंदर, उल्लू, तीतर, बाज, हिरण, सारस, हाथी व सांप को पालना प्रतिबंधित है. इसके अलावा खरगोश की भी कई प्रजाति पालना भी अवैध है. इन्हें भी नहीं पाला जा सकता है.
डीसीएफ अनुराग भटनागर ने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Kota) भटनागर का कहना है कि अवैध रूप से इन्हें घर में रखना या पालने या कैद करने पर 3 से 7 साल की सजा हो सकती है. इसके अलावा 25 हजार रुपए तक जुर्माना हो सकता है. दूसरी तरफ संरक्षित पक्षियों और वन्यजीवों की खरीद फरोख्त उनके नाखून, हड्डी, मांस, नाखून व बाल आदि रखना भी गैरकानूनी है. हमें इसकी शिकायत मिल रही है और उसके लिए उड़नदस्ता भी हमने बनाया हुआ है, जिन्होंने कार्रवाई भी की है.
लोग कर सकते हैं शिकायत, आमजन स्वतः छोड़ जाएं : डीसीएफ अनुराग भटनागर का कहना है कि उन्होंने आम जनता अपील की है कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत संरक्षित पक्षियों या वन्यजीव को किसी ने घर में पाल कर रखा हुआ है तो उसे कोटा चिड़ियाघर में छोड़कर जा सकते हैं. इस संबंध में अगर कोई व्यक्ति शिकायत करता है, इसके बाद पक्षी या वन्यजीव का रेस्क्यू किया जाता है, तब वन्यजीव प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. दूसरी तरफ आम जनता से यह भी अपील की गई है कि इस तरह किसी व्यक्ति ने पक्षी या वन्यजीव को रखा हुआ है तो उसकी शिकायत गोपनीय ढंग से कर सकते हैं. शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाएगा और जिस व्यक्ति ने पक्षी या वन्यजीव को रखा हुआ है, उस पर एक्शन लिया जाएगा.
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अब तक 80 तोता और 38 कछुओं का किया रेस्क्यू : कोटा के उपवन संरक्षक वन्यजीव अनुराग भटनागर का कहना है कि हमारे पास लगातार इस तरह की शिकायत आ रही है. जिसके बाद हमने बीते 3 से 4 महीने में करीब 80 तोता का रेस्क्यू किया है. इसके अलावा 38 कछुए भी हमने लोगों के घरों से बरामद किए हैं. हालांकि, मुकदमा एक भी दर्ज नहीं किया है, क्योंकि यह सभी लोग अज्ञानता के कारण ही इन्हें पाल रहे थे. उन्हें वन विभाग के नियमों की जानकारी नहीं है. यहां तक कि कुछ लोग तो इन तोतों के पर भी काट देते हैं, जिसके चलते उन्हें उड़ने में समस्या आती है.
तोता को पालना गैर कानूनी (ETV Bharat Kota) गिड़गिड़ाने लग जाते हैं लोग, कई दिनों तक रहते हैं गमजदा : डीसीएफ अनुराग भटनागर का कहना है कि लोग तोता या कछुए का रेस्क्यू करने के बाद गिड़गिड़ाने लग जाते हैं. बच्चों के मायूस हो जाने और रोने की बात सामने आती है. उनका कहना है कि हाल ही में महावीर नगर प्रथम से तोते का रेस्क्यू किया गया था. इसकी शिकायत किसी ने की थी. इसके बाद उसे मकान में रहने वाली बालिका ने दो दिन खाना नहीं खाया, यह बात भी सामने आई थी. हमने उन्हें कह दिया कि इसको बड़े पिंजरे में छोड़ा हुआ है. आप कुछ दिन आकर यहां पर मिल सकते हैं. दूसरी तरफ इसी तरह से रावतभाटा निवासी एक बुजुर्ग महिला भी कई दिनों तक चिड़ियाघर में अपने तोते से मिलने के लिए आई थी. हालांकि, बाद में समझ गई और आना छोड़ दिया.
कछुओं को पालना गैर कानूनी (ETV Bharat Kota) उड़ान भरने के लिए छोड़ते हैं पिंजरों में : डीसीएफ भटनागर का कहना है कि अधिकांश तोता रेस्क्यू के बाद उड़ान नहीं भर पाते हैं, क्योंकि उन्हें छोटे से पिंजरे में कैद करके रखा जाता है. यह उन तोतों के लिए सजा जैसा है, क्योंकि वह आसमान में ऊंची उड़ान भरते हैं और अपनी मर्जी के अनुसार कहीं भी आ-जा सकते हैं, लेकिन पिंजरे में रखने से उनकी आजादी छिन जाती है. यहां तक कि सालों पिंजरें में कैद होने के चलते वह उड़ान भी भूल जाते हैं. ऐसे में उन्हें कोटा के चिड़ियाघर में बड़े पिंजरे में रखा जाता है, ताकि वह उड़ान दोबारा सीखें. जब वे थोड़ी ऊंची उड़ान लेने लग जाते हैं तो बड़े पिंजरे में शिफ्ट कर दिया जाता है. जब ठीक से उड़ना सीख जाते हैं, तब उन्हें रिलीज कर दिया जाता है. हालांकि, अभी कछुओं को रिलीज नहीं किया है.