मंडी: हिमाचल की सर्द दोपहर में शॉल ओढ़े बैठी साकम्मा 20 साल बाद अपने घर जा रही है. अपने बच्चों के पास, जो करीब 20 साल पहले उसे मरा हुआ समझकर अंतिम संस्कार कर चुके थे. हिमाचल के मंडी से करीब 2000 किलोमीटर दूर कर्नाटक के अपने घर पहुंचने में साकम्मा को दो दशक लग गए. कहानी फिल्मी लगती है लेकिन ये 16 आने रियल है. कई मुश्किलों और मजबूरियों के बीच साकम्मा की कहानी आपकी आंखे नम कर जाएगी.
वृद्धाश्रम में रह रही थी साकम्मा
साकम्मा की कहानी की हैप्पी एडिंग की शुरुआत बीते 18 दिसंबर को हुई. जब एडीसी रोहित राठौर मंडी जिले के भंगरोटू स्थित एक वृद्धाश्रम में निरीक्षण के लिए पहुंचे थे. यहां उन्होंने साकम्मा नाम की महिला को देखा. पता चला कि वो कर्नाटक की रहने वाली हैं और हिंदी नहीं जानती हैं. उनकी मानसिक हालत भी कुछ ठीक नहीं थी. जिसके बाद एडीसी रोहित राठौर अन्य अफसरों के साथ साकम्मा को उनके घर पहुंचाने के मिशन में जुट गए.
साकम्मा के घरवालों तक कैसे पहुंचा प्रशासन ?
इसके बाद साकम्मा के साथ कन्नड़ में बात करने के लिए प्रदेश में तैनात कर्नाटक के अफसरों तक पहुंचने की कोशिश हुई. कर्नाटक की निवासी नेत्रा मैत्ती हिमाचल के कांगड़ा जिले में पालमपुर की एसडीएम हैं. फोन पर उनकी बात साकम्मा के साथ करवाई गई और उनके घर के बारे में जानकारी जुटाई गई. फिर मंडी जिले में ही तैनात आईपीएस प्रोबेशनर अधिकारी रवि नंदन को वृद्धाश्रम भेजकर साकम्मा के साथ बातचीत करवाई गई. महिला का वीडियो बनाकर कर्नाटक के अधिकारियों के साथ साझा किया गया. फिर हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक के अफसरों के प्रयास से साकम्मा के परिवार को ढूंढ लिया गया. साकम्मा कर्नाटक के जिला विजय नगर के गांव दनायाकनाकेरे की रहने वाली हैं.
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जिला उपायुक्त, मंडी अपूर्व देवगन ने बताया "समय-समय पर ओल्ड एज होम और अनाथाश्रम की इंस्पेक्शन की जाती है. हाल ही में अतिरिक्त उपायुक्त मंडी की ओर से भंगरोटू अनाथाश्रम का निरीक्षण किया गया. इस दौरान एक महिला से उनकी बात हुई जो कर्नाटक से हैं लेकिन उनके घर का पता नहीं चल पा रहा था. फिर जिला प्रशासन ने कर्नाटक के अफसरों के साथ मिलकर उन्हें घर पहुंचाया जा रहा है"
परिवार कर चुका था साकम्मा का अंतिम संस्कार