मैनपुरी: करहल विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपना दबदबा कायम रखा है. सपा के गढ़ को ढहाने की भाजपा की सारी कोशिशें नाकाम साबित हो गई. 1993 से लेकर अब तक इस सीट पर सपा को केवल एक बार वर्ष 2002 में पराजय मिली थी.
2022 में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने इस गढ़ से ही चुनाव लड़ा था और विधायक बने थे. अखिलेश यादव के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में अपने भतीजे तेजप्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया था. वहीं, भाजपा ने यादव चेहरे के तौर पर सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश यादव को प्रत्याशी बनाया था.
करहल में जीत का जश्न मनाते सपाई. (Video Credit; ETV Bharat) 14704 वोटों से जीते तेज प्रतापःसपा प्रत्याशी तेजप्रताप यादव को कुल 104207 मिले. जबकि बीजेपी प्रत्याशी अनुजेश प्रताप यादव को मिले 89503 मिले. इस तरह तेज प्रताप ने अनुजेश को 14704 वोटों से हराया. वहीं, बसपा प्रत्याशी अवनीश शाक्य को 8402 मिले.
भाजपा ने झोंकी थी पूरी ताकतःभाजपा इस बार सपा के इस गढ़ को ढहाने के दावों के साथ पूरी ताकत झोंकी थी. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को सीट का जिम्मा सौंपा गया था. इनके साथ पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय, राज्यमंत्री अजीत पाल को लगाया गया था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने चुनाव की घोषणा से पहले करहल क्षेत्र में कार्यक्रम किए थे. प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री ने घिरोर विधानसभा क्षेत्र में जनसभा की थी. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपनी जनसभा में शामिल नहीं हो सके थे. वहीं, अन्य मंत्री लगातार क्षेत्र में प्रचार में जुटे रहे.
गढ़ बचाने जुट गया था पूरा सैफई परिवारः दूसरी तरफ अपने गढ़ को बचाने के लिए सांसद डिंपल यादव सहित पूरा सैफई परिवार प्रचार में जुटा रहा था. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी घिरोर क्षेत्र में जनसभा की थी. चुनाव के दौरान सैफई परिवार और उनके रिश्तेदार के बीच का मुकाबला चर्चा का केंद्र बना रहा.
भाजपा यादव मतों में सेंधमारी के साथ अन्य जातीय मतों की गोलबंदी की रणनीति पर काम कर रही थी. परंतु उनकी यह कोशिश कामयाब नहीं हुई. यादव मतों में मामूली सेंधमारी दिखा, जो बेअसर रही. सपा अन्य जातियों के मतों में सेंधमारी करने में सफल रही.
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