यमुनानगर: जिले के बिलासपुर स्थित कपाल मोचन मेले में श्रद्धालु ना सिर्फ अपनी मन्नत पूरी करने के लिए आते हैं, बल्कि कपालमोचन मेले से करीब 5 किलोमीटर दूर संधाए गांव में राजा जरासंध के किले पर श्रद्धालु ईंट-पत्थर और जूते की बारिश भी करते हैं.
यमुनानगर का ऐतिहासिक मेला कपालमोचन में कार्तिक पूर्णिमा पर हर साल लाखों लोग स्नान करने के लिए आते हैं. कपालमोचन से 5 किलोमीटर दूर गांव संधाए गांव में एक जगह ऐसी भी है, जहां जूतों का मेला लगता है. यानी सैकड़ों किलोमीटर दूर से श्रद्धालु यहां सिर्फ इस किलो को जूते मारने के लिए आते हैं. कपाल मोचन मेले में आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु यहां जरूर आता है, और इस ध्वस्त और मिट्टी में दबे किले पर जूते मारता है. लोग एक दुर्जन राजा को उसके किए की सजा जूते मारकर देते हैं. वो राजा था महाभारत कालीन जरासंध, जिसका वध भीम ने किया था.
डोली को लूटता था जरासंध : किवंदती है कि राजा जरासंध के किले के आसपास जब भी किसी दुल्हन की डोली गुजरती थी तो वह डोली को लूट लेता था और एक रात दुल्हन को अपने पास रखता था. तब एक दुल्हन ने उसे श्राप दिया था कि इस किले पर ईंट पत्थर और जूते मारे जाएंगे. खास तौर पर इस मेले में पंजाब के लोग आते हैं और ये लोग यह कहते सुनाई देते हैं कि वो लोग राजा को उसके किए की सजा देने के लिए यहां पर पहुंचे हैं.