नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की उम्र में निधन हो गया. उनका भारत के साथ मधुर संबंध था. उनकी मां लिलियन को भी भारत से लगाव था. उन्होंने यहां पीस कॉर्प्स के साथ स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में काम किया था. जिमी कार्टर अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति थे. उनका नाम अमेरिका के इतिहास में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति के रूप में दर्ज हो गया.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा, 'आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी को खो दिया है.
जिमी कार्टर पहली बार 1978 में इमरजेंसी के दौरान भारत की यात्रा पर आए थे. तभी उन्होंने कार्टरपुरी गांव का भी दौड़ा किया था. कार्टर के परिवार में उनके बच्चे - जैक, चिप, जेफ और एमी, 11 पोते-पोतियां, और 14 परपोते-परपोतियां हैं. उनकी पत्नी रोजलिन और एक पोते का निधन उनसे पहले हो चुका था.
1977 में आपातकाल हटने और जनता पार्टी की जीत के बाद कार्टर भारत आने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे. भारतीय संसद को संबोधित करते हुए कार्टर ने तानाशाही शासन के खिलाफ बात की थी. 2 जनवरी, 1978 को कार्टर ने कहा, 'भारत की कठिनाइयों को हम अक्सर खुद अनुभव करते हैं. हमें आगे आने वाले कार्यों की याद दिलाती हैं. सत्तावादी तरीके की नहीं.'
एक दिन बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कार्टर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती के मूल में उनका दृढ़ संकल्प है कि लोगों के नैतिक मूल्यों को राज्यों और सरकारों के कार्यों का भी मार्गदर्शन करना चाहिए.
कैसे पड़ा गांव का नाम कार्टरपुरी
कार्टर सेंटर के अनुसार 3 जनवरी 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर ने हरियाणा के गुड़गांव (अब गुरुग्राम) जिले के दौलतपुर नसीराबाद गांव की यात्रा की. यह गांव नई दिल्ली से एक घंटे की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है. वे भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे. वह देश से व्यक्तिगत रूप से जुड़े एकमात्र राष्ट्रपति थे.
उनकी मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में पीस कॉर्प्स के साथ एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में यहां काम किया था. जिमी कार्टर की इस यह यात्रा गांव के लोग इतने खुश हुए कि निवासियों ने इसका नाम बदलकर 'कार्टरपुरी' रख दिया. गांव के लोग राष्ट्रपति कार्टर के कार्यकाल के बाकी समय तक व्हाइट हाउस के संपर्क में रहे.
इस यात्रा ने एक स्थायी छाप छोड़ी
जब राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता तो कार्टरपुरी गांव में जश्न का माहौल था. यही नहीं 3 जनवरी को कार्टरपुरी में छुट्टी होती है. कार्टर सेंटर ने कहा के अनुसार इस यात्रा ने एक स्थायी साझेदारी की नींव रखी जिससे दोनों देशों को बहुत लाभ हुआ.
भारत का मित्र
राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में 3 जनवरी 1978 को जिमी कार्टर दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किया. तभी उन्होंने कहा, 'अमेरिका ने दुनिया को सरकार के एक नए रूप का उदाहरण दिया, जिसमें नागरिक और राज्य के बीच एक नया संबंध है. एक ऐसा संबंध जिसमें राज्य नागरिक की सेवा करने के लिए मौजूद है, न कि नागरिक राज्य की सेवा करने के लिए.'
कार्टर ने कहा ने आगे कहा,'भारत ने भारी मानवीय विविधता से राजनीतिक एकता बनाने का प्रयोग किया. जिससे विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं और धर्मों के लोगों को स्वतंत्रता में एक साथ काम करने में सक्षम बनाया गया. आपका प्रयोग एक ऐसा प्रयोग है जिसकी सफलता का जश्न दुनिया नए सिरे से मना रही है.'
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान निक्सन प्रशासन के पाकिस्तान की ओर 'झुकाव' के कारण उत्पन्न तनाव के बाद कार्टर ने तेजी से विकसित हो रही वैश्विक व्यवस्था में एक लोकतांत्रिक भागीदार के रूप में भारत के साथ फिर से जुड़ने के महत्वपूर्ण महत्व को समझा. देसाई ने कहा, 'जबकि कार्टर के राष्ट्रपति पद को अक्सर घरेलू चुनौतियों के चश्मे से देखा जाता था, अमेरिका-भारत संबंधों में उनका योगदान परिवर्तनकारी था.