कांकेर:इन दिनों छत्तीसगढ़ में भीषण गर्मी पड़ रही है. इस बीच कई क्षेत्रों के लोगों को भीषण गर्मी में पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. कांकेर के ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासी पानी के नाम पर धीमा जहर पी रहे हैं. ये जहरीला पानी पीना इनके लिए मजबूरी है. इसके विरोध में कुछ दिनों पहले ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट जाकर विरोध भी किया था. इस बीच ईटीवी भारत की टीम ग्राम पंचायत भैंसगांव पहुंची और वहां के लोगों से बातचीत की. बातचीत के दौरान ग्रामीणों ने बताया कि वो यहां झिरिया का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
हैंडपंप से निकलता है गंदा पानी: दरअसल, छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर बसा है ग्राम पंचायत भैसगांव है. ग्राम पंचायत भैंसगाव का आश्रित गांव मौलीपारा है. पंचायत से इसकी दूरी 1 किलोमीटर से अधिक होगी. मौलीपारा पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है. नाला पार कर पगडंडी से होते हुए ईटीवी भारत की टीम यहां पहुंची. बारिश के मौसम में अगर नाले में काफी पानी आ जाए तो इनके लिए मुसीबत बन जाती है. या यूं कहें कि ग्राम पंचायत से संपर्क कट जाता है. इस गांव में कुल 11 घर है. यहां कुल 85 आदिवासी रहते हैं. इनमें बच्चे, बूढ़े और जवान शामिल हैं.इस गांव के लोगों की सबसे बड़ी समस्या पानी ही है. इनके पास पीने को साफ पानी नहीं है. प्रशासन ने इन लोगों के लिए बोर खनन करवाया है, लेकिन इस हैंडपम्प से लाल पानी आता है. जिसे लोग पी नहीं सके.