भोपाल।ज्योतिरादित्य सिंधिया का चुनावी भविष्य केवल गुना-शिवपुरी सीट पर देखा जा रहा हो. ग्वालियर चंबल की चारों लोकसभा सीटों पर सिंधिया इफेक्ट माना जाता है. गुना-शिवपुरी के अलावा मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट भिंड और ग्वालियर ये वो लोकसभा सीटे हैं, जहां बीजेपी का कमल खिलता है. कमल एमपी से लेकर दिल्ली तक सिंधिया की साख बढ़ाएगा. इनमें केवल मुरैना लोकसभा सीट ऐसी है. जिस सीट पर नरेन्द्र सिंह तोमर भी बराबर का प्रभाव रखते हैं. चार साल पहले बीजेपी में शामिल हो जाने के बाद ये ग्वालियर चंबल की सीटों पर अगर बीजेपी को जीत मिलती है, तो सिंधिया की पार्टी में जमीन मजबूत करेगी.
इन चार सीटों पर जीत करेगी सिंधिया की जीत मजबूत
सिंधिया 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल के दायरे में आने वाली चार लोकसभा सीटों की 34 विधानसभा सीटों में से 26 सीटों पर जीत दर्ज करवा के सिंधिया ने कांग्रेस की सत्ता की राह आसान करवाई. इसी जमीन से जब सिंधिया के साथ उनके समर्थक विधायकों की बगावत हुई तो कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली भी गई. ज्योतिरादित्य सिंधिया बेशक गुना सीट से चुनाव मैदान में हैं. इस सीट पर जीत हार से उनका चुनावी भविष्य देखा जा रहा है, लेकिन असल में एमपी की 29 लोकसभा सीटों में से चार ऐसी सीटें हैं, जो सिंधिया के प्रभाव वाली हैं और जिनकी जीत हार सीधे तौर पर सिंधिया के बीजेपी में राजनीतिक भविष्य को प्रभावित करेगी.
इनमें गुना लोकसभा सीट के अलावा ग्वालियर लोकसभा, भिंड दतिया लोकसभा और मुरैना श्योपुर सीट शामिल हैं. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'कांग्रेस में जिस तरह से किलेदार रहे हैं तो कांग्रेस के दौर से ही ग्वालियर चंबल सिंधिया की टेरटरी माना जाता है. ये वो इलाका है कि जहां सिंधिया से पूछ कर टिकट तय होते हैं. एक तरह से इन सीटों की अघोषित जवाबदारी सिंधिया की ही रहती आई है. बीजेपी में आने के बाद भी जबकि ग्वालियर चंबल से नरेन्द्र सिंह तोमर प्रभात झा जैसे नेता भी हैं. सिंधिया ने अपनी मेहनत से विधानसभा चुनाव में साबित किया है कि सिंधिया के पार्टी बदलने से उनकी जमीन पर फर्क नहीं आया.'
सिंधिया के साथ कहां तोमर की भी साख दांव पर
गुना के बाद ग्वालियर लोकसभा सीट तो सीधे तौर पर सिंधिया के प्रभाव वाली सीटों में गिनी जाती है. इसके अलावा भिंड से लेकर मुरैना लोकसभा तक सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र है. बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं, 'सिंधिया राजपरिवार का इस इलाके से वन टू वन कनेक्ट है. खुद सिंधिया के लिए गुना ग्वालियर चंबल का इलाका कोई राजनीतिक पिच नहीं उनका परिवार है. कांग्रेस ने जिस तरह से उन्हें धोखा दिया. सिंधिया को सीएम पद का स्वाभाविक दावेदार होते हुए भी किनारे किया. उसका जवाब जनता ने 28 सीटों के उपचुनाव में ही दे दिया था. हालांकि मुरैना लोकसभा सीट पर सिंधिया के साथ नरेन्द्र सिंह तोमर की भी साख दांव पर हैं.'