झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / state

धनबाद जेल का निरीक्षण, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर टीम ने की जांच - DHANBAD JAIL

धनबाद जेल में हाई लेवल टीम के जरिए कैदियों के बैरकों का निरीक्षण हुआ. यह जांच सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद की गई.

JAILS INSPECTION IN DHANBAD
हाई लेवल टीम द्वारा धनबाद जेल की जांच (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 6, 2025, 9:27 PM IST

धनबाद: जेल में बंद कैदियों को उनके अपराधों के आधार पर रखने का प्रावधान है. लेकिन क्या धनबाद जेल में बंदियों को जातिगत आधार पर अलग-अलग या वर्गीकृत रखा जाता है? सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसकी जांच के लिए धनबाद के न्यायिक पदाधिकारी, जिला प्रशासन की हाई लेबल टीम प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी के नेतृत्व में धनबाद जेल पहुंची.

धनबाद जेल की जांच के बाद जानकारी देते हुए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि जेलों में सुधार और पुनर्वास का केंद्र होनी चाहिए न कि भेदभाव और असमानता का! जातिगत वर्गीकरण जैसे मुद्दों पर सतर्क निगरानी और कठोर कार्रवाई जरूरी है ताकि भारतीय संविधान के सिद्धांतों का पालन हो सकें. उन्होंने बताया की कुछ रिपोर्ट और सामाजिक संगठनों द्वारा यह आशंका जताई गई थी कि जेलों में जातिगत भेदभाव हो सकता है. ऐसा कहा जाता है कि बंदियों के बीच झगड़े, विवाद, और सांप्रदायिक तनाव को कम करने के नाम पर, उन्हें जाति या समुदाय के आधार पर अलग-अलग बैरकों में रखा जाता है.

इन सारे कयासों के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई की थी और 31 अक्टूबर 2024 को आदेश पारित किया था. उन्होंने कहा कि जेल प्रशासन का मुख्य उद्देश्य कैदियों का पुनर्वास और सुरक्षा है. हालांकि यह सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है कि कैदियों के साथ समानता और मानवाधिकारों का पालन हो. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इस बात की जांच करने टीम धनबाद जेल पहुंची थी. धनबाद जेल में ऐसी कोई अनियमितता नहीं मिली.

वहीं जानकारी देते हुए न्यायाधीश सह सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकारी राकेश रोशन ने बताया कि सामाजिक संस्था सुकन्या बनाम भारत सरकार के मामले में (रिट पिटीशन संख्या 1404/23) में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह बात रखी गई की इस बात की जांच हो की क्या जेलों में बंदियों को जातिगत वर्गीकरण के आधार पर रखा जाता है. उनका कहना था कि अगर जातिगत भेदभाव हो रहा है तो यह संविधान और मानवाधिकारों का उल्लंघन है. यह मुद्दा जेलों के पारदर्शिता और सुधार की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है. इसलिए यह जरूरी है कि सरकार इस पर निष्पक्ष जांच कराए और यह सुनिश्चित करें कि किसी भी बंदी के साथ जातिगत भेदभाव न हो.

धनबाद मंडल कारा के अधीक्षक सह अपर समाहर्ता विनोद कुमार ने कहा कि किसी भी कैदी को जाति, धर्म, या किसी अन्य सामाजिक पहचान के आधार पर नहीं बांटा जाता. कैदियों को उनके अपराध की प्रकृति, सुरक्षा की स्थिति और उनके व्यवहार के आधार पर बैरकों में रखा जाता है. इसी पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के सभी जेलों में इस बाबत जांच का निर्देश दिया था. जिसके अनुपालन में सोमवार को धनबाद जेल में जांच की गई.

इस टीम में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अवर न्यायाधीश राकेश रोशन, अपर समाहर्ता सह मंडल कारा अधीक्षक विनोद कुमार, एसडीएम राजेश कुमार, प्रभारी चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ रोहित गौतम, डॉ राजीव कुमार सिंह, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनीता कुजूर, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पीडब्ल्यूडी चंदन कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी शिव कुमार राम, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी विनोद कुमार मोदी, एलएडीसीएस के चीफ कुमार विमलेंदू, डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट, सहायक नीरज गोयल, सुमन पाठक, शैलेन्द्र झा, कन्हैयालाल ठाकुर, स्वाती, मुस्कान, डालसा सहायक अरुण कुमार, सौरभ सरकार, राजेश कुमार सिंह समेत अन्य लोग शामिल रहे.

ये भी पढ़ें-धनबाद जेल में छापेमारी, मच गया हड़कंप - Raid In Jail

अलग-थलग पड़े थे कैदी के जूते, सिपाही ने उठाया तो मिली हैरान करने वाली चीज, जांच शुरू

मासूम बच्ची से दुष्कर्म का मामला, कोर्ट ने आरोपी को माना बालिग, भेजा जेल

ABOUT THE AUTHOR

...view details