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दिव्यांगों का हक मारकर बना शिक्षक, फर्जी सर्टिफिकेट की होगी जांच, बड़ा सवाल छत्तीसगढ़ में ऐसे कितने मामले - Job in basis of fake certificate

Job in basis of fake certificate छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी पाने के लिए लोग किस हद तक गिर सकते हैं,इसकी बानगी बलौदाबाजार में देखने को मिली.जहां किसी दिव्यांग का हक मारकर फिट व्यक्ति शिक्षक के पद पर नियुक्त हो गया. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पूरे छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी कर रहे लोगों को क्या हाल होगा. investigation after ETV Bharat news

JOB IN BASIS OF FAKE CERTIFICATE
दिव्यांगों का हक मारकर बना शिक्षक (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 23, 2024, 12:16 PM IST

Updated : May 23, 2024, 12:26 PM IST

बलौदाबाजार भाटापारा : शिक्षा विभाग में बीते 12 वर्षों से फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाकर नौकरी कर रहे दिव्यांग कोटे से नौकरी कर रहे शिक्षक के खिलाफ जांच के निर्देश दिए गए हैं. ETV भारत में 20 मई को खबर दिखाए जाने के बाद कलेक्टर ने जिला शिक्षाधिकारी को प्रकरण के जांच के निर्देश दिए हैं.जांच के बाद पूरे प्रकरण में बड़ा खुलासा हो सकता है.

कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश (investigation after ETV Bharat news)

जिले में और भी मामले आ सकते हैं सामने :बलौदाबाजार भाटापाराजिले में सालों से चल रहे फर्जी मेडिकल और शिक्षा प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरी करने के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ होने की संभावना है. मामले की सबसे अहम कड़ी शिक्षक ऋषि कुमार महिलांग का फर्जी दिव्यांग मेडिकल सर्टिफिकेट है.जिसे जारी करने वाले स्वास्थ्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होना चाहिए.ताकि भविष्य में किसी दिव्यांग का अधिकार ना मारा जाए.

20 मई को सामने लाई थी सच्चाई :इस बारे में ETV भारत ने 20 मई को प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. समाचार प्रकाशन के बाद कलेक्टर कुमार लाल चौहान ने मंगलवार को टीएल की बैठक में इस मुद्दे की जांच कराने निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए हैं. जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती के मुताबिक शासन के आदेशानुसार समाज कल्याण विभाग ने निर्देश जारी किया है . कलेक्टर ने प्रकरण की जांच के लिए मार्क किया है.मामले में अहम कड़ी स्वास्थ्य विभाग का दिव्यांगता प्रमाण पत्र है. इस बारे में सिविल सर्जन से चर्चा हुई है. स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग के सभी तथ्यों को देखते हुए मामले की जांच जल्द शुरू करेंगे.

क्या है पूरा मामला जानने के लिए क्लिक करें- बलौदाबाजार में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का मामला, कलेक्टर से कार्रवाई की मांग


क्या है पूरा घटनाक्रम ? :आपको बता दें कि सहायक शिक्षक ऋषि कुमार महिलांग की नियुक्ति कला विषय पर अनुसूचित जाति ने शब्द दृष्टिबाधित श्रेणी में शासकीय प्राथमिक शाला नवागांव विकासखंड छुरिया में साल 2012 में हुई थी.चयन प्रक्रिया के समय विभाग ने शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र मांगा था. जिस पर महिलांग ने विभाग को जो शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र प्रदान किया गया था, उसकी जांच से पता चला कि ऋषि कुमार की एक आंख की दृष्टि क्षमता 6.6 यानी सामान्य और दूसरे आंख की क्षमता में किसी तरह का कोई प्रकाश बोध नहीं है. इस पर दिव्यांगता का प्रतिशत महज 30 प्रतिशत आता है. शासकीय विभागों में सरकारी सेवक की नियुक्ति हेतु दिव्यांगता का 40 प्रतिशत होना अनिवार्य माना जाता है. शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र अभ्यर्थी के वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए मांगा जाता है. शारीरिक योग्यता प्रमाण पत्र के अनुसार महिलांग पूरी तरह अपात्र है. दो दिन पहले दिव्यांग कर्मचारी संघ ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की थी.

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Last Updated : May 23, 2024, 12:26 PM IST

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