महासमुंद : छत्तीसगढ़ टोनही शब्द को लेकर सख्त कानून बनाया गया है.जिसे टोनही प्रताड़ना अधिनियम कहा जाता है.इस कानून के बनने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि ग्रामीण इलाकों में टोनही को लेकर जो भ्रांतियां फैली हैं वो खत्म होंगी.लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है.आज भी टोनही के नाम पर कई परिवार प्रताड़ित हो रहे हैं.ताजा मामला महासमुंद के कोटादादर गांव का है.जहां एक परिवार को सामाजिक बहिष्कार का दंश झेलना पड़ रहा है.
क्या है मामला ?: महासमुंद जिले में तेंदुकोना थाना क्षेत्र के गांव कोटादादर में टोनही प्रताड़ना का मामला सामने आया है. इस गांव में 40 साल के अनुसूईया ध्रुव को टोनही बताकर प्रताड़ित किया जा रहा है. अनुसूईया को उसके पति धेसराम ध्रुव के साथ गांव से बहिष्कृत किया गया है. पीड़ित पक्ष की माने तो वो पिछले कई साल से माता शीतला की पूजा करते आ रहे हैं. इस दौरान गांव में कई लोगों की अलग-अलग कारणों से मौत हो गई.जिसके बाद गांव के लोगों ने उन पर टोना जादू करने का आरोप लगाया.
51 हजार रुपए की हो रही है डिमांड : इन्हें ये भी कहा गया है कि यदि गांव में रहना है तो इंक्यावन हजार रूपये दो नहीं तो टोनही बताकर गांव से बाहर कर देंगे.जब पति पत्नी ने पैसा नहीं दिया तो पूरे परिवार का हुक्का पानी ही गांव से बंद कर दिया गया.मामले में पीड़ित पति पत्नी धेसराम ध्रुव और अनसुईया ध्रुव का कहना है कि पैसों के लिए उन पर झूठा आरोप लगाया गया है.
हम माता का पूजा अर्चना करते हैं. गांव में 7 से 8 लोगों की मौतें हुई हैं. इसलिए हमें टोनही और तांत्रिक बताकर प्रताड़ित कर रहे हैं. गांव से बहिष्कृत कर दिए हैं - धेसराम ध्रुव, पीड़ित
गांव में 7-8 आदमी खत्म हो गए तो उसका जिम्मेदार हम लोगों को बताया गया.इसके बाद गांव से बहिष्कृत कर दिए और कहा कि गांव से बाहर निकलो-अनसुईया ध्रुव,पीड़ित
गांव से परिवार हुआ बहिष्कृत : इसके बाद इस परिवार का गांव में रहना अब मुश्किल हो गया है.क्योंकि गांव के किसी भी दुकान से इन्हें जरुरत का सामान नहीं मिलता है. इस बात की शिकायत पीड़ितों ने पुलिस से की है. परिवार गांव से बाहर है,जिसके कारण इनके सिर पर छत नहीं है.उधर पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की,लिहाजा पीड़ित पक्ष एएसपी के पास फरियाद लगाने पहुंचे.एएसपी ने आवेदन लेकर कार्रवाई का भरोसा दिया है.
थाना तेंदूकोना अंतर्गत गांव कोटादादार का मामला है.वहां एक महिला हैं अनुसूईया जिन्हें टोनही शब्द का इस्तेमाल करते गांव के कुछ लोगों ने बहिष्कृत किया है.जिसके लिए प्रार्थियों ने आवेदन दिया है.इस मामले में गांव के लोगों से भी पूछताछ की जाएगी.जांच में जो भी तथ्य मिलते हैं उस पर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी- प्रतिभा पाण्डेय,एएसपी
भारत जैसे बहुधर्मी और विविधतापूर्ण देश में समाज में कई प्रकार की विषमताएं और भ्रांतियां आज भी मौजूद हैं. इसमें एक कुरीति सामाजिक बहिष्कार भी है. आज एक परिवार को अपनी सत्यता प्रमाणित करने के लिए पैसे जमा करने होंगे.परिवार की माने तो यदि उन्होंने पैसे जमा कर दिए तो निर्दोष साबित हो जाएंगे.अब जरा सोचिए क्या सिर्फ पैसे जमा करने से आरोपों की कसौटी मापी जा सकती है.फिलहाल पुलिस ने आवेदन ले लिया है और अब पूरा मामला जांच के बाद ही साफ हो पाएगा.
छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना पर बना कानून : छत्तीसगढ़ देश में पहला ऐसा राज्य है. जहां इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए टोनही प्रताड़ना निवारण कानून (Chhattisgarh Tonhi Harassment Act ) बना है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में खासकर मैदानी इलाकों में इस तरह की घटनाओं में काफी कमी आई है. हालांकि अभी भी छत्तीसगढ़ के खासकर बॉर्डर जिलों में इस तरह की घटनाएं काफी होती हैं. बॉर्डर राज्य जैसे- ओडिशा, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के सटे हुए क्षेत्रों में बैगा और टोनही प्रताड़ना के नाम पर लोगों में जागरूकता की जरूरत है.
छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना अधिनियम : छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम (Chhattisgarh Tonhi Harassment Act ) 2005 के तहत किसी को भी टोनही कहने पर 3 साल का कठोर कारावास, जुर्माने का प्रावधान है. शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करने या नुकसान पहुंचाने पर 5 साल के कठोर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है.
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