नई दिल्ली:जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) ने यौन उत्पीड़न के मामलों को देखने वाली इंटरनल कमेटी (आईसी) चुनावों में भाग लेने के बारे में निर्णय लेने के लिए एक आम सभा की बैठक बुलाई. जेएनयू छात्रसंघ के द्वारा इंटरनल कमेटी की चुनाव का विरोध किया जा रहा है. जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय ने बताया कि इंटरनल कमेटी में तीन छात्र प्रतिनिधि मतदान के माध्यम से चुने जाते हैं जबकि 6 शिक्षक नॉमिनेट रखे जाते हैं.
छात्रसंघ नॉमिनेटेड शिक्षकों को इंटरनल कमेटी में रखने का विरोध :जेएनयू छात्रसंघ नॉमिनेटेड शिक्षकों को रखने का विरोध कर रहा है. छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा कि हमारी मांग है कि शिक्षक भी चुनाव के माध्यम से चुनकर आएं. उन्होंने बताया कि इंटरनल कमेटी से पहले जेएनयू में (जेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट (जीएसकैश) को मनमाने ढंग से हटा दिया गया था और आईसीसी जैसी अलोकतांत्रिक संस्था को बदल दिया गया था.
आईसीसी की कार्यप्रणाली को लेकर छात्राओं को चिंता :धनंजय ने कहा कि चूंकि आईसीसी की कार्यप्रणाली को लेकर छात्र छात्राओं में बड़ी चिंताएं हैं, यह कैसे व्यवस्थित रूप से पीड़ितों को दोषी ठहराती है. यह कैसे सत्ता से जुड़े अपराधियों की रक्षा करती है और कैसे आईसीसी में छात्र समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर यूजीबीएम में चर्चा की जानी थी, लेकिन, रात को एबीवीपी ने यूनिवर्सिटी जनरल बॉडी मीटिंग (यूजीबीएम) को बाधित करना शुरू कर दिया. उन्होंने उत्पीड़ित समुदाय के एक वक्ता को हैक करके शुरुआत की, जो अपने विचार रखने आए थे.
एबीवीपी कार्यकर्ताओं पर मंच को हिंसक तरीके से कब्जाने का आरोप :आरोप है कि एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष धनंजय, उपाध्यक्ष अविजित घोष और संयुक्त सचिव साजिद तथा इस मुद्दे पर अपने विचार रखने आए छात्रों के साथ धक्का-मुक्की की और अंततः मंच पर कब्जा कर लिया तथा हिंसक तरीके से माइक छीन लिया, जिससे छात्रों को अपने विचार रखने से रोक दिया गया. उन्होंने सांप्रदायिक नारे लगाने शुरू कर दिए तथा छात्रों के लिए शत्रुतापूर्ण माहौल बनाया. लगभग 2 घंटे तक उन्होंने मंच पर कब्जा बनाए रखा.