रांची: 23 अगस्त को भाजयुमो द्वारा रांची में भाजपा युवा मोर्चा की आक्रोश रैली में हंगामा की तपिश कम नहीं हो रही है. इस रैली में शामिल भाजपा के 51 से अधिक नेताओं पर नामजद और 12 अज्ञात नेताओं पर प्राथमिकी दर्ज किए जाने पर सियासत तेज हो गयी. इस एफआईआर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने सवाल खड़ा किया, जिसपर सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से जवाब आया है.
रांची में झामुमो के केन्द्रीय महासचिव और प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया. उन्होंने कहा कि युवा आक्रोश रैली में पूरी तैयारी विधि व्यवस्था को खराब करने की थी. इस रैली में उपद्रवियों का जमावड़ा लगा था जो विशेष लेजर ग्लब्स, तार काटने वाला पिलास और पत्थर लेकर मोराबादी मैदान पहुंचें थे. झामुमो नेता ने कहा कि जिस तरह की हरकत भाजपा के नेताओं ने उस दिन की, उन्हें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शुक्रिया कहना चाहिए कि सिर्फ उन पर FIR हुआ है और वह लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपनी बात कह पा रहे हैं. अगर झारखंड की जगह इस तरह का काम यूपी या एमपी में होता तो पत्थरबाजों का घर ढहा दिया जाता. यहां ये भाजपा वाले लोग सिर्फ FIR से डर गए.
12000 अज्ञात प्राथमिकी पर सवाल उठाने वाले बताएं कि किसान आंदोलन में क्या हुआ था
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आज जो लोग 23 अगस्त युवा आक्रोश रैली कांड में 12 हजार अज्ञात लोगों पर FIR पर सवाल उठा रहे हैं. वे ये बताएं कि दिल्ली में किसान आंदोलन के एक मामले में दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस ने मिलकर 180 प्राथमिकी कैसे दर्ज कर दी थी. झामुमो नेता ने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार में खूंटी में 10 हजार अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी कैसे दर्ज हुई थी. भाजपा राज्य में लोकतांत्रिक तरीके से चुनावी लड़ाई देश भर में हारने जा रही है. इसलिए हरियाणा में भाजपा सरकार चुनाव की तिथि आगे बढ़ाने का आवेदन चुनाव आयोग को देती है तो यहां विधि व्यवस्था खराब करना चाहती है.
'मिला क्या' सवाल पूछने वाले बताएं कि 2014 से लेकर अब तक जो जो वादे किए, वह मिला क्या?