रांची: हरियाणा में कांग्रेस की अप्रत्याशित हार और भाजपा की लगातार तीसरी जीत का असर झारखंड की राजनीति पर पड़ने की संभावना बढ़ गई है. एक तरफ हरियाणा के नतीजों ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है, वहीं दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा का दबदबा इंडिया ब्लॉक में और बढ़ेगा.
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति के सदस्य और प्रवक्ता मनोज पांडेय ने भी विधानसभा चुनाव में जीत की संभावना को सबसे अहम बताकर इस ओर इशारा किया है. वहीं कांग्रेस ने झामुमो के जीत की संभावना को यह कहकर नजरअंदाज कर दिया है कि राज्य में उसकी सहयोगी झारखंड मुक्ति मोर्चा जानती है कि कांग्रेस के समर्थन के बिना जीत हासिल नहीं की जा सकती, इसलिए यहां कांग्रेस के साथ सम्मानजनक समझौता होगा.
'2019 से ज्यादा सीटों पर लड़ेगा झामुमो'
झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि यह सच है कि विधानसभा या लोकसभा चुनाव में पार्टी का स्ट्राइक रेट सहयोगी दलों से बेहतर रहा है, लेकिन हमारे नेता गठबंधन की राजनीति बखूबी करते हैं. इसलिए झामुमो की ओर से सभी का ख्याल रखा जाएगा, लेकिन बाकी सहयोगी दलों को भी व्यावहारिकता का ख्याल रखना होगा.
झामुमो नेता ने कहा कि चुनाव में जीत की संभावना बहुत महत्वपूर्ण कारक है और इसका सभी को ख्याल रखना होगा. उन्होंने कहा कि जब महागठबंधन के दल सीट बंटवारे के मुद्दे पर बैठेंगे, तब चर्चा होगी, लेकिन एक बात साफ है कि इस बार झामुमो 2019 की तुलना में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगा.
'कांग्रेस के बिना सत्ता में नहीं आ सकता झामुमो'
वहीं कांग्रेस का कहना है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का झारखंड की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ने वाला. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता खुर्शीद हसन रूमी ने कहा कि हरियाणा और झारखंड की परिस्थितियां अलग-अलग हैं. यहां झामुमो जानता है कि वह कांग्रेस के समर्थन के बिना सत्ता में नहीं आ सकता. इसलिए जब सीट बंटवारे को लेकर बैठक होगी, तब हमारा स्वाभाविक दावा 33 सीटों का होगा. उन्होंने कहा कि 2019 का फॉर्मूला 2024 में भी लागू होगा.