रामगढ़:प्रयागराज महाकुंभ में गंगा स्नान को लेकर प्रयागराज जाने वाले ट्रेन में यात्रियों की भीड़ देखने को मिल रही है. रामगढ़ जिले के पतरातू रेलवे स्टेशन में मंगलवार को दिल्ली जाने वाली 'झारखंड स्वर्ण जयंती एक्सप्रेस' पहुंची. ट्रेन रुकी भी लेकिन कई यात्री ट्रेन में चढ़ नहीं सके, वजह स्लीपर कोच के दरवाजों का बंद होना बताया गया. इस कारण कई यात्रियों की ट्रेन छूट गई. कई प्रयागराज तो कई यात्री अन्य स्टेशन पर जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचे थे.
न अंदर से मिली मदद न ही गार्ड से: यात्री
यात्रियों ने बताया कि बरकाकाना की ओर से ट्रेन पतरातू रेलवे स्टेशन पहुंची. इस दौरान यात्रियों ने देखा कि कई बोगियों के दरवाजे अंदर से बंद हैं. यात्रियों ने दरवाजा खोलने के लिए काफी आवाज लगाई, लेकिन अंदर से किसी भी तरह का कोई रिस्पांस नहीं मिला. गार्ड से भी यात्रियों ने काफी मिन्नतें की लेकिन गार्ड भी यात्रियों की कोई मदद नहीं कर सका और अंत में ट्रेन पतरातू रेलवे स्टेशन से अपने निर्धारित स्टॉपेज के लिए रवाना हो गई.
जानकारी देते यात्री (ETV BHARAT) दिव्यांग यात्री दीपक कुमार सिंह ने बताया कि वह अपने घर पलामू जा रहे थे. दिव्यांग बोगी में उन्होंने काफी चढ़ने का प्रयास किया लेकिन अंदर से दरवाजे को किसी ने नहीं खोला जिसके कारण वे यात्रा नहीं कर सके. इस दौरान स्टेशन पर कोई भी सुरक्षाकर्मी या रेलवे कर्मी ने मदद नहीं की.
दरवाजा खोलने के लिए 600 रुपए की मांग
रांची की रहने वाली रमा सिंह बताती है कि वह पतरातू अपने रिश्तेदारों से मिलकर पतरातू रेलवे स्टेशन पहुंची. ट्रेन जब स्टेशन पर रुकी तो बोगी के पास पहुंचकर दरवाजा खोलने का प्रयास किया लेकिन दरवाजा अंदर से लॉक था और कोई भी खोल नहीं रहा था. साथ ही अंदर से छह सौ रुपये की डिमांड की जा रही थी. इस दौरान दो महिला ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच की गैपिंग में गिर गई. गार्ड से काफी रिक्वेस्ट किया गया लेकिन गार्ड ने भी किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
गणेश साहू नामक यात्री ने बताया कि जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुंची तो सभी बोगियां अंदर से बंद थी. यह देखकर लोगों ने तुरंत इसकी शिकायत गार्ड से की लेकिन उन्होंने उनकी मदद करने से मना कर दिया. एक महिला प्लेटफार्म और ट्रेन के बीच में गिर गई थी, जिसे यात्रियों ने ही किसी तरह से बाहर निकाला.
वहीं, अन्य महिला यात्रियों का कहना है कि गेट खोलने के एवज में छह सौ रुपये मांगा जा रहा था. सभी बोगियों के गेट अंदर से बंद थे. स्टेशन कर्मी की और से भी कोई मदद नहीं मिली. हालांकि इस मामले पर पतरातू रेलवे स्टेशन मास्टर की ओर से किसी तरह का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
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