रांची: रामगढ़ जिला के वेस्ट बोकारो ओपी क्षेत्र में 18 फरवरी की देर रात 1 बजे हजारीबाग के डीआईजी सुनील भास्कर की क्यूआरटी यानी क्विक रिसपांस टीम पर हुए तथाकथित हमले की वजह से झारखंड पुलिस की भद पिट गई है. दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक डीआईजी ने गुप्त सूचना के हवाले से अपनी क्यूआरटी को रामगढ़ जिला के केदला कलाली मोड़ के पास भेजा था. उन्हें सूचना मिली थी कि वहां मौजूद ईंट भट्ठा में अवैध कोयले की डंपिंग हो रही है. वहां पहुंचते ही क्यूआरटी को कोयला लदा एक ट्रैक्टर नजर आया. इसको लेकर पूछताछ के बाद मामला ऐसा बिगड़ा कि भीड़ ने क्यूआरटी की गाड़ी पर हमला बोल दिया. शीशे तोड़ दिए गये. लेकिन शुक्र है कि किसी भी पुलिस वाले को कोई चोट नहीं लगी.
जाहिर है कि पुलिस टीम पर हमला कोई छोटी बात नहीं होती. वह भी तब जब डीआईजी की क्यूआरटी पर हमला हो जाए. इस बारे में आज ईटीवी भारत की टीम ने हजारीबाग के डीआईजी सुनील भास्कर से जानना चाहा कि आखिर एक ट्रैक्टर कोयला के लिए उनको हजारीबाग जिला से रामगढ़ जिला में अपनी क्यूआरटी भेजने की क्यों जरुरत आन पड़ी. यह सूचना तो रामगढ़ के एसपी या संबंधित क्षेत्र के डीएसपी को भी दी जा सकती थी. उनसे पूछा गया कि इस मामले में अबतक क्या कार्रवाई हुई है. इसके जवाब में डीआजी सुनील भास्कर ने कहा कि आप रामगढ़ के एसपी साहब से बात कर लीजिए. वह कार्रवाई कर रहे हैं. इतना कहकर उन्होंने फोन काट दिया. दूसरे सवालों का जवाब जानने के लिए उनसे कई बार संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसिव नहीं किया.
मामले की गंभीरता को देखते हुए रामगढ़ के एसपी पीयूष पांडेय से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई. वहीं रामगढ़ के एसडीपीओ परमेश्वर प्रसाद ने बताया कि उन्हें क्यूआरटी के आने की कोई जानकारी नहीं थी. गिरफ्तारी के बाबत पूछने पर उन्होंने कहा कि इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि प्राथमिकी के वक्त वह वेस्ट बोकारो ओपी में मौजूद नहीं थे. खास बात है कि पूरे मामले की जांच कर रहे एएसआई शंकर कश्यप ने बताया कि दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
उठ रहे हैं कई गंभीर सवाल
पहला सवाल तो ये कि क्यूआरटी की गाड़ी को अगर भीड़ ने क्षतिग्रस्त कर दिया तो उसकी तस्वीरें मीडिया में क्यों नहीं जारी की गई. एक ट्रैक्टर चालक से पूछताछ के दौरान रात एक बजे 50-60 की संख्या में लोग कहां से जुट गये. अगर जानलेवा हमला हुआ था तो कोई पुलिस वाला जख्मी क्यों नहीं हुआ. क्यूआरटी तो हथियार से लैस होती है. उसने अपने बचाव में फायरिंग क्यों नहीं की. क्योंकि ऐसे हालात से निपटने में क्यूआरटी एक्सपर्ट मानी जाती है. अगर डीआईजी को अवैध कोयला डंपिंग का इनपुट मिला भी तो उन्होंने इसकी जानकारी एसपी को क्यों नहीं दी. क्यूआरटी को लीड करने वाले पुलिस अवर निरीक्षक दीपक कुमार पासवान को क्यों बताना पड़ रहा था कि वह पुलिस वाले हैं. आखिर कोयला लदा ट्रैक्टर कहां लापता हो गया. अगर वहां अवैध कोयला डंपिंग का इनपुट था तो दूसरे दिन पुलिस के पहुंचने पर कोयला क्यों नहीं मिला. पुलिस टीम को इतने गंभीर खतरे में डालने के लिए किसी को अबतक जिम्मेवार क्यों नहीं ठहराया गया.
इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल के दौरान जानकारी मिली कि केदला का क्षेत्र झुमरा पहाड़ की तलहटी में है. इस जगह पर एक साल पहले तक सीआरपीएफ का कैंप भी हुआ करता था. कुछ दिन पहले ही इस इलाके में सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन ने ऑपरेशन भी चलाया था. यह जंगल का इलाका है. यहां एक नदी बहती है. यहां ईंट भट्ठे संचालित होते हैं. भट्ठे चलाने के लिए कोयले का इस्तेमाल होता है. इसमें ग्रामीणों का सहयोग रहता है. आसपास के माइंस से बोरियों में भरकर या छोटी गाड़ियों में लादकर ईंट भट्ठों तक कोयला पहुंचाया जाता है.