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झारखंड चुनाव में नीतीश, चिराग और मांझी का दांव: बढ़ सकती हैं बीजेपी की मुश्किलें!

केंद्र में बीजेपी की सरकार सहयोगी दलों पर निर्भर है. JDU-LJPR के पास बड़ी हिस्सेदारी है. इसलिए झारखंड चुनाव का गणित रोचक हो गया है.

By ETV Bharat Bihar Team

Published : 6 hours ago

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झारखंड चुनाव (ETV Bharat)

पटना:झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में खींचतान बढ़ गई है. बिहार की प्रमुख सत्ताधारी पार्टी जदयू, चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी और जीतन राम मांझी की हम पार्टी भी झारखंड में चुनाव लड़ना चाहती है. ये सभी भाजपा के साथ तालमेल चाहते हैं, लेकिन अब तक बीजेपी ने गठबंधन को लेकर स्थिति साफ नहीं की है. केंद्र सरकार की थोड़ी कमजोर स्थिति को देखते हुए झारखंड में एनडीए के घटक दल दबाव की राजनीति करना चाहते हैं, जिससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

बिहार में बीजेपी के सहयोगी दलों के बीच हलचलः चुनाव आयोग ने झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा कर दी है. 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा. 23 नवंबर को मतगणना होगी. झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद बिहार में बीजेपी के सहयोगी दलों के बीच हलचल बढ़ने लगी है. जदयू, लोजपा रामविलास और हम के नेता उम्मीद लगाए हुए हैं कि झारखंड में भाजपा उनके लिए सीट छोड़ेगी, लेकिन अभी तक बीजेपी ने स्पष्ट नहीं किया है.

झारखंड चुनाव को लेकर राजनीति तेज. (ETV Bharat)

भाजपा नहीं खोल रही पत्तेः जदयू ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रखी है. चिराग पासवान ने घोषणा की थी तालमेल नहीं होगा तो सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे. वहीं, जीतन मांझी ने भी 10 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की थी. फिलहाल तीनों दल में संशय बना हुआ है. तीनों दल के नेताओं को भाजपा के साथ तालमेल की उम्मीद है. फिलहाल, बीजेपी अपने पत्ते नहीं खोल रही है. लेकिन उनके नेता का कहना है कि सब कुछ तय हो गया है सिर्फ घोषणा होना बाकी है.

झारखंड में नहीं है जनाधारः राजनीति का जानकारों की मानें तो जदयू, लोजपा रामविलास और हम का झारखंड में बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है. इसलिए अकेले लड़कर भी कुछ नहीं कर पाएंगे. बीजेपी जो देगी मानना पड़ेगा. राजनीतिक विश्लेषक भोलानाथ का कहना है जदयू को दो सीट देने की बात कही जा रही है. झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरु महतो अपने बेटे के लिए एक सीट और चाहते हैं. ऐसे में भाजपा, जदयू को एक और सीट छोड़ सकती है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी से भी बातचीत चल रही है.

"जिस पार्टी की जितनी जनाधार होगी, उसी के हिसाब से बीजेपी झारखंड में सीट देगी. भाजपा अपने हिसाब से ही सब कुछ तय करेगी और सहयोगी दलों को बीजेपी के फैसले को मनाना ही पड़ेगा."- भोलानाथ, राजनीतिक विश्लेषक

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सहयोगी दल बढ़ा सकते हैं मुश्किलः जदयू के नेता लगातार कह रहे हैं कि अभी बातचीत फाइनल नहीं हुआ है. झारखंड जदयू के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद खीरू महतो बिहार दौरे पर आए थे तो कहा था कि 11 सीटों पर झारखंड में चुनाव लड़ना चाहते हैं. जदयू के वरिष्ठ नेता और नीतीश कुमार के नजदीकी मंत्री श्रवण कुमार सीटों के तालमेल वाले सवाल को टालते हुए कहा कि झारखंड में एनडीए की सरकार बनेगी. चिराग पासवान की पार्टी के प्रवक्ता प्रोफेसर विनीत सिंह का कहना है कि वो लोग चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके हैं.

"हम लोग 11 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रहे हैं, अब देखना है कितने सीटों पर तालमेल होता है. अभी बातचीत चल ही रही है. एनडीए वहां मिलकर चुनाव लड़ेगी और लुटेरी झारखंड सरकार को इस बार हटायेगी."- श्रवण कुमार, ग्रामीण विकास मंत्री

एनडीए के सभी दल एकजुटः झारखंड में 81 विधानसभा सीट हैं. यहां सुदेश महतो की पार्टी आजसू प्रमुख घटक दल है. बीजेपी, सुदेश महतो को 10 से 11 सीट दे सकती है. जदयू के लिए दो सीट छोड़ने को तैयार है. लोजपा को भी 1 से 2 सीट दे सकती है. लेकिन, जीतन राम मांझी की पार्टी को एक भी सीट मिलेगी इसकी संभावना कम है. हम ने झारखंड में चुनाव लड़ने की बात कही है. सहयोगी दलों के नेताओं के बयान के बाद भी बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह का कहना है कि एनडीए में बातचीत हो गई है. सिर्फ घोषणा होना बाकी है.

"पटना में संसदीय बोर्ड की बैठक 18 अक्टूबर को बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा. झारखंड में चुनाव हम लोग जरूर लड़ेंगे. इसकी तैयारी कर ली गयी है."- श्याम सुंदर सिंह, HAM प्रवक्ता

जदयू को 6 सीटों पर मिली थी जीतः झारखंड अलग होने के बाद 2005 में विधानसभा का चुनाव हुआ. 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जदयू ने 18 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें 6 सीटों पर जीत मिली थी. वोट प्रतिशत 4 फीसदी रहा. एनडीए सरकार में जदयू की हिस्सेदारी थी. हालांकि, 2009 में वोट प्रतिशत और सीटों में भी गिरावट आई. भाजपा के साथ गठबंधन में जदयू को 14 सीटें मिली, जिस पर मात्र 2 सीटों पर पार्टी जीत दर्ज कर सकी. वोट प्रतिशत भी घटकर 2.78 रह गया.

पिछले दो चुनाव में जदयू का खाता नहीं खुलाः 2005 में जदयू को देवघर, तमाड़, बाघमारा, छतरपुर डाल्टेनगंज, मांडू विधानसभा क्षेत्र में जीत हासिल हुई थी वहीं 2009 में छतरपुर, दमोह विधानसभा में जीत हासिल हुई लेकिन उसके बाद जदयू का खाता नहीं खुला है. 2014 में जदयू 40 और 2019 में 48 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

चिराग को भी नहीं मिली सफलताः झारखंड विधानसभा के चुनाव 2019 में लोजपा को एक सीट दी गई थी, लेकिन लोजपा की ओर से 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारा गया था. लेकिन, एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. चिराग पासवान इस बार बीजेपी के साथ तालमेलकर चुनाव लड़ना चाहते हैं. झारखंड में लोजपा रामविलास की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी उस समय चिराग पासवान ने तालमेल नहीं होने पर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी. हालांकि, लगातार कोशिश हो रही है कि बीजेपी के साथ कुछ सीटों पर तालमेल हो जाए.

बिहार से बाहर जदयू का प्रदर्शनः जदयू और लोजपा कई राज्यों में चुनाव लड़ चुके है पिछले साल नागालैंड में भी दोनों दल चुनाव लड़े थे जदयू को जहां एक सीट पर जीत मिली तो चिराग पासवान की पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली थी वोट प्रतिशत के मामले में भी चिराग नीतीश कुमार पर बीस थे. अभी हाल ही में जम्मू कश्मीर में भी जदयू ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन किसी सीट पर जमानत नहीं बची. उससे पहले कई राज्यों में जदयू चुनाव लड़ी है मणिपुर और अरुणाचल को छोड़ दें तो कहीं सफलता नहीं मिली है.

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