लातेहार:जिले का मनिका विधानसभा हॉट सीट बन गया है. नामांकन की तिथि समाप्त होने के बाद जिस प्रकार यहां बागी उम्मीदवारों ने अपना दम दिखाया है उससे दलीय प्रत्याशियों की नींद उड़ गई है. मनिका विधानसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन के अलावे एनडीए से भी कई बागी प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
मनिका में बीजेपी और कांग्रेस में मुख्य मुकाबला
दरअसल, मनिका विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है. इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में रामचंद्र सिंह ने नामांकन किया है, जबकि भाजपा प्रत्याशी के रूप में हरिकृष्ण सिंह चुनावी मैदान में हैं. लेकिन इन दोनों प्रत्याशियों के अलावे कई बागी उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में पूरे दम के साथ उतर गए हैं. बागी प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से दलीय प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ गई है. दलीय प्रत्याशी डैमेज कंट्रोल के लिए पूरे जी-जान से जुट गए हैं.
इंडिया ब्लॉक का बिगड़ सकता है समीकरण!
इधर, बागी प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं मनिका विधानसभा क्षेत्र में इंडिया ब्लॉक का समीकरण बिगड़ सकता है. यहां कांग्रेस की ओर से रामचंद्र सिंह को टिकट दिए जाने के बाद कांग्रेस के जिला अध्यक्ष मुनेश्वर उरांव बागी हो गए हैं. भारी संख्या में कार्यकर्ता मुनेश्वर उरांव के पक्ष में एकजुट दिख रहे हैं.
बता दें कि इस बार के चुनाव में मनिका विधानसभा क्षेत्र से इंडिया ब्लॉक से कांग्रेस की टिकट के प्रबल दावेदार मुनेश्वर उरांव माने जा रहे थे, लेकिन पार्टी ने रामचंद्र सिंह को दोबारा प्रत्याशी घोषित कर दिया. इसके बाद संगठन में अंतर्कलह शुरू हो गया और मुनेश्वर उरांव ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. पिछले दिनों मुनेश्वर के नामांकन में काफी संख्या में उनके समर्थकों की भीड़ उमड़ी थी.
राजद नेता ने भी पकड़ी अलग राह
इधर, इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दलों में से एक राष्ट्रीय जनता दल के नेता रघुपाल सिंह भी रामचंद्र सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए हैं. समाजवादी पार्टी की टिकट पर उन्होंने मनिका विधानसभा क्षेत्र से नामांकन किया है. रघुपाल सिंह के पक्ष में राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े मनिका विधानसभा क्षेत्र कई बड़े चेहरे भी दिखाई दिए. बता दें कि रघुपाल सिंह वर्ष 2019 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे. चुनाव हारने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल का दामन थामा था. इस कारण ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा के कोर वोटर समझे जाने वाले खरवार समाज में भी रघुपाल सिंह सेंध लगाते सकते हैं.