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Jharkhand Election 2024: उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल ने राज्य को दिया था पहला सीएम, जानिए अब यहां का क्या है समीकरण?

उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल सभी दलों के लिए काफी अहम है. यहीं से राज्य को पहला मुख्यमंत्री भी मिला था.

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ग्राफिक्स डिजाइन (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 4 hours ago

रांची:झारखंड राज्य पांच प्रमंडलों में बंटा है. जिला और सीटों की संख्या के लिहाज से उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की जमीन सत्ता के गलियारे तक पहुंचने के लिए सबसे मुफीद मानी जाती है. इसकी वजह है 25 सीटें. सबसे ज्यादा सात जिलें हैं इस प्रमंडल में. यहां एक भी सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित नहीं है. हालांकि यहां सबसे ज्यादा चार सीटें एससी के लिए रिजर्व हैं. एक और बड़ी खासियत है इस प्रमंडल की. इसी क्षेत्र ने बाबूलाल मरांडी के रूप में राज्य को पहला मुख्यमंत्री दिया.

जब झारखंड अलग राज्य बना तो बाबूलाल मरांडी भाजपा के सांसद थे. उन्हें छह माह के भीतर विधानसभा का चुनाव जीतना था. इसी बीच रामगढ़ सीट से सीपीआई के विधायक रहे शब्बीर अहमद कुरैशी का असमय निधन हो गया. इसी उपचुनाव में बाबूलाल मरांडी भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी.

इस प्रमंडल में कोडरमा, रामगढ़, हजारीबाग, चतरा, गिरिडीह, बोकारो और धनबाद जिला शामिल हैं. 2019 के चुनाव में इस प्रमंडल की 25 सीटों में सबसे ज्यादा 12 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. जबकि भाजपा को कुल 81 सीटों में से 25 सीटों पर ही जीत मिली थी. इससे साफ है कि भाजपा को सबसे ज्यादा सपोर्ट इसी प्रमंडल में मिला था. कांग्रेस को 05 सीटें, झामुमो को 04 सीटें, राजद को 01, भाकपा माले को 01, आजसू को 01 और निर्दलीय को 01 सीट मिली थी.

2014 से उत्तरी छोटानागपुर में भाजपा की है धाक

2009 के चुनाव में यहां भाजपा की करारी शिकस्त हुई थी. सिर्फ तीन सीटें आई थी. तब 07 सीटों पर जीत के साथ जेवीएम इस प्रमंडल की सबसे पसंदीदा पार्टी बन गई थी. 06 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर थी. झामुमो को 03, लेफ्ट को 02, राजद को 02 और आजसू को 02 सीटें मिली थी. लेकिन 2014 के मोदी लहर में भाजपा ने कमबैक किया और 25 में से 16 सीटों पर कब्जा जमा लिया. जबकि सहयोगी आजसू को दो सीटें मिलीं.

चार एससी सीटों पर क्या रहा है समीकरण

राज्य की 81 विधानसभा सीटों में 09 सीटें एससी के लिए रिजर्व हैं. इनमें सबसे ज्यादा चार सीटें उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में हैं. 2019 के चुनाव में भाजपा ने एससी के लिए रिजर्व चार सीटों में से 03 सीटें यानी सिमरिया, जमुआ और चंदनकियारी में जीत हासिल की थी. राजद के खाते में चतरा सीट गई थी. 2014 के चुनाव में चतरा और जमुआ सीट पर भाजपा की जीत हुई थी. सिमरिया और चंदनकियारी सीट जेवीएम के खाते में गई थी. लेकिन जेवीएम के दोनों विधायक भाजपा में शामिल हो गये. इनाम के तौर पर चंदनकियारी से चुनाव जीतने वाले अमर बाउरी को तत्कालीन रघुवर कैबिनेट में जगह मिली थी. आज अमर बाउरी भाजपा विधायक दल के नेता हैं.

आर्थिक रूप से सबसे मजबूत है यह प्रमंडल

झारखंड का उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा संपन्न है. इसकी वजह है धनबाद, चतरा और रामगढ़ की कोयला खदानें. दूसरी तरफ बोकारो स्टील प्लांट इसे अलग पहचान दिलाता है. उर्वर जमीन की बदौलत हजारीबाग के किसान काफी समृद्ध हैं. चतरा और गिरिडीह जिले में कभी नक्सलियों की पैठ हुआ करती थी, जो अब अंतिम सांसे गिन रहे हैं.

झारखंड में 13 नवंबर को 43 सीटों पर पहले चरण का चुनाव होना है. इस फेज में उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल की 25 में से 07 यानी कोडरमा, बरकट्ठा, बरही, बड़कागांव, हजारीबाग, सिमरिया और चतरा सीट के लिए वोटिंग होगी. इस प्रमंडल की शेष 18 सीटों के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. जाहिर है कि एनडीए अपने 2014 के परफॉर्मेंस को दोहराना चाहेगा. वहीं, इंडिया ब्लॉक चाहेगा कि भाजपा के इस गढ़ में कैसे ज्यादा से ज्यादा सेंधमारी की जा सके.

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