जमुई: बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. आज हम बात कर रहे है जेबलिन थ्रो खेल में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी की, जो 9वीं कक्षा में पढ़ाई के साथ कई मैडल जीत चुका है. यही नहीं वो आगे देश के लिए भी मेडल जीतना चाहता है. एक मजदूर परिवार से आने वाले राजेश कुमार मांझी ने घर परिवार चलाने के साथ खेल के क्षेत्र में ईस्ट जोन में गोल्ड मेडल जीता है. वो राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी इस बार भी 2 मेडल अपने नाम कर चुके हैं.
9वीं का छात्र है राजेश कुमार:जेबलिन थ्रो खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी ने ईटीवी भारत से बात करते हुऐ बताया कि धर परिवार के कामों में हाथ बटाने के साथ वह 9वीं की पढाई भी कर रहे हैं. स्कूल के दौरान ही कुछ सीनियर खिलाड़ियों को खेलते देख राजेश के मन में खेल के प्रति जिज्ञासा बढ़ी और उसने भी प्रेक्टिस शुरू कर दी. उसकी मेहनत रंग लाई और उसने कई मेडल अपने नाम किए.
'जुगाड़' तकनीक से चलाना पड़ता है काम:जब खिलाड़ी स्टेट खेलने लगते हैं, तो वहां उन्हें अच्छी सुविधा मिलती है. अगर जिला स्तर पर भी खिलाड़ियों को संसाधन मुहैया हो और आर्थिक मदद मिल पाए तो आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी. आर्थिक रूप से संपन्न परिवार के खिलाड़ी अपने खेल के 'इक्यूपमेंट' की व्यवस्था कर लेते हैं. वहीं राजेश का कहना है कि उनके जैसे गरीब खिलाड़ियों को 'जुगाड़' तकनीक से ही काम चलाना पड़ता है.
"देश के लिए खेलना और मेडल जीतना मेरा सपना है. स्थानीय स्तर पर तो मदद नहीं मिल पाती है, संसाधन की कमी और आर्थिक तंगी आड़े आती है. हालांकि मेरी जीतोड़ मेहनत जारी रहेगी. परेशानी होती है लेकिन हौसला बुलंद है, हम कामयाब होंगे."-राजेश कुमार मांझी, खिलाड़ी
घर में हाथ बटाने के लिए करता है मजदूरी: जेबलिन थ्रो खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी जमुई टाउन थाना क्षेत्र के उझंड़ी मांझी टोले का रहने वाले हैं. उनका पूरा परिवार कच्चे मिट्टी के खपरैल मकान में रहता है. घर तक जाने के लिए नाले को पार करना होता है. जिसके लिए इन्होंने अपने जुगाड़ से चचरी पुल बना रखा है. फिलहाल राजेश एक मकान निर्माण कार्य में अपने मां-पिता का हाथ बटाते हुए मजदूरी करता है.
पढ़ाई के साथ करता है काम: मांझी टोला के सभी परिवार का पालन पोषण मजदूरी से ही होता है. परिवार के बड़े, बूढ़े, बच्चे, महिला-पुरूष सभी कुछ न कुछ मजदूरी करते आ रहे है. अपनी जीविका के लिए बच्चों की पढाई भी नहीं हो पाती है. वो भी परिवार के साथ काम करने में लग जाते हैं. राजेश मांझी टोला का एकमात्र ऐसा लड़का है जो अपने परिवार के साथ काम करते हुए सरकारी स्कूल के 9वीं क्लास में पढाई कर रहा है. वो खेल में कई मेडल भी जीत चुका है और आगे चलकर देस के लिए भी मेडल जीतना चाहता है.
दो साल से मेहनत कर रहा राजेश: खिलाड़ी राजेश कुमार मांझी के परिवार के लोग बताते हैं कि उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है की उनके बीच से निकला गरीब मजदूर का बेटा नाम रौशन कर रहा है. राजेश की तैयारी में मदद कर रहे जेबलिन थ्रो के मेडलिस्ट खिलाड़ी सूरज कुमार ने बताया कि पिछले दो साल से राजेश कड़ी मेहनत से ट्रेनिंग ले रहा है और अच्छा कर रहा है. उसने कई मेडल भी जीते हैं.